Saturday, October 5, 2024
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चुनाव आचार संहिता के पूर्व अविलंब बिहार के शिक्षकों के तर्ज पर झारखंड के शिक्षकों को मिले एम ए सी पी का लाभ

उत्क्रमित वेतनमान का भी वर्षों से शिक्षक कर रहे हैं इंतेजार, सरकार जल्द करे सुधार : संयुक्त शिक्षक मोर्चा

उतराखंड, छत्तीसगढ़ एवं आंध्रप्रदेश के तरह शिक्षकों सहित राज्य कर्मियों का सेवनिवृति उम्र 60 से 62 वर्ष किया जाना चाहिए

राँची, 19 अगस्त, 2024,
झारखंड राज्य संयुक्त शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संयोजक अमीन अहमद, विजय बहादुर सिंह, प्रवक्ता अरुण कुमार दास एवं राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ झारखंड प्रदेश के प्रदेश संयोजक श्री आशुतोष कुमार ने जानकारी देते हुए बताया है कि राज्य के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों के साथ हो रहे आर्थिक अत्याचार को एम ए सी पी का लाभ देकर राज्य सरकार, शिक्षकों के साथ आर्थिक न्याय करने की अपील मोर्चा ने किया है। विडंबना है कि शिक्षकों को छोड़कर राज्य के सभी कर्मचारियों को नियमित रुप से पद प्रोन्नति एवं एम ए सी पी का लाभ नियमानुकूल दिया जाता है, परन्तु शिक्षकों को न तो प्रोन्नति ही मिलता है और ना ही एम ए सी पी का लाभ।
राज्य के शिक्षक अपनी पूरी सेवाकाल में बिना कोई वित्तीय लाभ के ही अपनी बेसिक वेतनमान में ही सेवानिवृत होते चले जा रहे हैं, जिससे शिक्षक वर्ग क्षुब्ध रह कर ही अपने शिक्षण कार्य करने को विवश है।
झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा चुनाव आचार संहिता के पूर्व यथाशीघ्र शिक्षकों को एम ए सी पी का लाभ देकर शिक्षकों के साथ आर्थिक न्याय करने की मांग करती है। बिहार सरकार ने शिक्षकों के साथ न्याय करते हुए 2021 में ही अपने शिक्षकों को एम ए सी पी का लाभ दे चुकी है।
2006 से पूर्व के नियुक्त शिक्षकों को छठे वेतन आयोग की अनुशंसा के बावजूद उत्क्रमित वेतनमान से अभी तक वंचित रखा है जबकि राज्य के सचिवालय कर्मियों को 2019 में ही इसका लाभ दे दिया गया है। जिससे राज्य के शिक्षक अपने ही राज्य में ठगे से महसूस कर रहे हैं। ऐसे में राज्य में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की कल्पना कैसे कर सकते हैं जब शिक्षकों को ही न्याय नहीं मिले।
मोर्चा के प्रदेश संयोजक अमीन अहमद एवं प्रवक्ता अरुण कुमार दास ने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि राज्य के तीनों संवर्ग के शिक्षकों प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक सहित राज्य कर्मियों की सेवनिवृति आयु 60 वर्ष है जबकि एक साथ बने छत्तीसगढ़ एवं उत्तराखंड सहित आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में सेवनिवृति आयु बढ़ाकर 62 वर्ष की गई है। यहाँ तक कि अपने ही राज्य में विश्वविद्यालय शिक्षकों की सेवानिवृति उम्र 65 वर्ष है जबकि दोनों स्तर के शिक्षकों का मूल कार्य शिक्षण ही है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षण व्यवस्था को बनाये रखने के लिए विधालयी शिक्षकों सहित राज्य कर्मियों की सेवानिवृति उम्र बढ़ाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी को ठोस कदम उठाने की जरूरत राज्य हित में होगा।
ज्ञातव्य है कि मोर्चा ने विभाग एवं सरकार के सभी पदाधिकारी सहित राज्य के विधान सभा के प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति से लेकर माननीय मंत्री गण एवं माननीय मुख्यमंत्री महोदय तक राज्य के शिक्षकों के साथ हो रहे आर्थिक भेद भाव से अवगत कराते हुए राज्य कर्मचारियों के समान एम ए सी पी का लाभ देने के लिए लगातार संघर्षरत है।
उक्त मामलों को लेकर माननीय आदिवासी कल्याण मंत्री दीपक बिरूआ से मोर्चा के सदस्य मिलकर पूरी जानकारी देते हुए वार्ता की है। शिष्टमंडल में मोर्चा के अमीन अहमद, विजय बहादुर सिंह, अरुण कुमार दास, आशुतोष कुमार, मो० फखरुद्दीन मुख्यरूप से मौजूद थे।

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