मत्स्य कृषकों की एकदिवसीय संगोष्ठी आयोजित, मत्स्य पालन के साथ-साथ मोती उत्पादन की पहल
जिला मत्स्य कार्यालय में कार्यशाला का आयोजन 8 जनवरी को
मत्स्य विभाग की योजनाओं का लाभ उठाएं, मछली उत्पादन से अपनी आमदनी बढ़ाएं: जीनत फातिमा
रांची/झींकपानी (पश्चिम सिंहभूम)। मत्स्य विभाग के तत्वावधान में रविवार को पश्चिम सिंहभूम के झींकपानी प्रखंड अंतर्गत नवागांव ग्राम में एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में काफी संख्या में नवागांव के मत्स्य पालकों व मोती पालन करने वाले मत्स्य कृषकों ने भाग लिया।
संगोष्ठी में उपस्थित मत्स्य कृषकों को मत्स्य प्रसार पदाधिकारी जीनत फातिमा ने संबोधित किया। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों को मत्स्य पालन से जुड़कर झारखंड को मछली उत्पादन में आत्म निर्भर बनाने में सहभागिता निभाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि मत्स्य विभाग की योजनाओं से जुड़कर लाभ उठाएं और अपनी आमदनी बढ़ाएं।
संगोष्ठी में प्रगतिशील मत्स्य कृषक व मोती पालक बुधन सिंह पूर्ति ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि मनुष्य अगर अपने उद्देश्यों के प्रति प्रयत्नशील रहे तो असंभव कार्य भी संभव हो सकता है। श्री पूर्ति ने बताया कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बावजूद झारखंड राज्य में मोती पालन से अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में झारखंड के हजारीबाग जिला को मोती पालन हेतु क्लस्टर जिला चयनित किए जाना झारखंड के गौरव की बात है। यह राज्य की बड़ी उपलब्धि है।
श्री पूर्ति ने मोती पालन हेतु मत्स्य कृषकों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि वह चाईबासा में पले-बढ़े। इसलिए अपने गांव और चाईबासा जिले को मोती पालन में झारखंड में अग्रणी जिला बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं।
संगोष्ठी में उपस्थित कृषकों को संबोधित करते हुए पशु चिकित्सक डॉ. बबलू सुन्डी ने कहा कि मोती पालन किसानों की आर्थिक समृद्धि बढ़ाने में सहायक हो सकता है। उन्होंने बताया कि कृषि,पशुपालन व मत्स्य पालन से संबंधित योजनाओं में जितना श्रम लगता है, उससे कम मेहनत में मोती पालन कर आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने समेकित मत्स्य पालन एवं किसान क्रेडिट कार्ड के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
वहीं मत्स्य निदेशालय के मुख्य अनुदेशक प्रशांत कुमार दीपक ने गोष्ठी में उपस्थित मत्स्य कृषकों को संबोधित करते हुए समेकित मत्स्य पालन के महत्व को विस्तार से बताया। उन्होंने मत्स्य पालन व मोती पालन के प्रति अभिरुचि विकसित करने के लिए मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र, शालीमार, धुर्वा से प्रशिक्षण प्राप्त करने की अपील की। उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, एनएफडीबी पोर्टल और केसीसी के बारे में मत्स्य कृषकों को महत्वपूर्ण जानकारियां दी। इस अवसर पर मोती पालक विश्वनाथ तामसो य, मुंडा मोरन सिंह तमसोय सहित काफी संख्या में नवागांव के मत्स्य पालकों ने भाग लिया। संगोष्ठी को सफल बनाने में मत्स्य निदेशालय के मुख्य अनुदेशक प्रशांत कुमार दीपक, मत्स्य प्रसार पदाधिकारी जीनत फातिमा, मत्स्य निदेशालय के कर्मी नंदन झा सहित अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही।