Saturday, July 27, 2024
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बांध लेना तिरंगे का सर पर कफ़न, एक सच्चे मुसलमान का पहचान है:दिल खैराबादी

 

जलसा सीरत-उन-नबी व शिलान्यास मस्जिद आयशा का आयोजन

 बेटियों की सुरक्षा के लिए स्कूल और कॉलेज बनाने की जरूरत: मुफ्ती हारून


रांची : राजधानी रांची के तिलता रातू अल कमर कॉलोनी में जलसा सीरत-उन-नबी व शिलान्यास मस्जिद आयशा का आयोजन किया गया। जलसे की अध्यक्षता रांची के शहर काज़ी मुफ़्ती क़मर आलम कासमी ने की और संचालन मौलाना अब्दुल वाजिद चतुर्वेदी व मौलाना फिरोज ने किया। कार्यक्रम की शुरूआत झारखंड के लोकप्रिय कारी कारी सोहेब अहमद के पवित्र कुरान के तिलावत से हुआ। जलसे के मुखातिथि महाराष्ट्र जलगांव के स्पीकर वायरल न्यूज के निदेशक हजरत मौलाना मुफ्ती हारून नदवी ने अपने संबोधन में मस्जिद के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हे लोगों, अपने जीवन में अच्छे कर्म करो। यह मत सोचो कि मेरे बाद मेरा बेटा या परिवार मेरे लिए अच्छे काम करेगा।

 कुरान का पहला छंद इकरा अर्थात पढ़ो, शिक्षा को महत्व दिया।  ऐ लोगो, अगर तुम अपनी बहू-बेटियों की हिफाज़त करना चाहते हो तो स्कूल और कॉलेज बनाओ। वहीं जामिया रशीदुल उलूम चतरा के शिक्षक मौलाना मुफ्ती सनाउल्लाह ने कहा कि इस धरती पर सबसे प्यारी जगह मस्जिद है। मुसलमानों पुण्य के लिए तुम्हारे माल की जरूरत पड़े तो दे देना। जमीन का हर टुकड़ा अल्लाह का घर नहीं बनता। अल्लाह धरती के उस हिस्से को चुनता है जिसे वह अपना घर बनाना चाहता है। वहीं  जब शायर इस्लाम दिल खैराबादी ने पढ़ा कि इस लिए नाज़ है इस ज़मी पर मुझे, जन्म भूमि मेरा मेरा स्थान है। ये तिरंगा कफ़न हो मेरी लाश पर, एक मुद्दत से दिल की ये अरमान है। बांध लेना तिरंगे का सर पर कफ़न, एक सच्चे मुसलमान का पहचान है।

 जलसा की अध्यक्षता कर रहे मुफ्ती कमर आलम कासमी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि मस्जिद को मुसलमानों का केंद्र होने का गौरव प्राप्त है। उसकी केन्द्रीयता को न तो नकारा जा सकता है और न ही उसकी केन्द्रीयता को मिटाया जा सकता है। मौलाना परवेज हैदर, युवा समाजसेवी मुहम्मद यासीन अंसारी के मार्गदर्शन में सभा का संचालन किया गया। 

प्रोग्राम को कामियाब बनाने वालो में कमरुल हक अंसारी, यासीन अंसारी, मुहम्मद शाहिद अंसारी, अली हसन, मुहम्मद अशफाक, मुहम्मद सद्दाम, मुहम्मद परवेज, मुहम्मद जमशेद आलम, मुहम्मद आसिफ, मुहम्मद मुजाहिद, आबिद, मुहम्मद राशिद, मुहम्मद कलाम, मुहम्मद सनाउल्लाह, मुहम्मद रिजवान, मुहम्मद मुश्ताक, मुहम्मद मोनू, मुहम्मद एजाज, मुहम्मद इम्तियाज, मुहम्मद अलीम, मुहम्मद जावेद, अब्दुल गफ्फार और सैकड़ों लोग थे।

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