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मर्कजुल मदारिस जामिया शहीद शेख़ भिखारी कॉन्फ्रेंस व दस्तार बंदी का आयोज

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अपने बच्चों को हाफ़िज़ और आलिम बनाकर अपने दीन और ईमान की रक्षा करें: मुफ्ती

रांची: मर्कजुल मदारिस जामिया शहीद शेख़ भिखारी में आज कॉन्फ्रेंस व दस्तार बंदी का आयोजन किया गया। जिसमें भारत के प्रसिद्ध उलेमा, मुफ्ती और नातखा के साथ रांची और आस पास के उलेमा, नातखा शामिल हुए। मुख्यातिथि नज़ीमे आला खलीफाए हुजूर ताजुश्शरिया ओवैसे मिल्लत हज़रत अल्लामा मुफ्ती डॉ.मुहम्मद यूनुस रज़ा मोनिस ओवैसी की अध्यक्षता व जियारत हुई। संचालन मुफ्ती अब्दुल कूददुस ओवैसी साहब ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत मदरसे के शिक्षक कारी अब्दुल कादिर के तिलावत कुरान पाक के साथ हुआ। मदरसा के छात्रों ने बेहतरीन नात और मनक़बत पढ़ कर सब का दिल जीत लिया। इस मदरसा के उप नाज़िमे आला और हाफिज कारी शमशिर रजा ने प्यारी आवाज में नात पेश किया। साथ ही रांची शहर और आस पास से आए हुए उलेमा ए कराम का बयान हुआ ।
मदरसे के ग्यारह बच्चे जो पूरे कुरान को याद कर के हाफिज बने हैं उन्हें पीरे तारिकत, रेहबरे शरीयत, खलीफाए हुजूर ताजुश्शरिया हजरत अल्लामा मुहम्मद युनस ओवैसी साहब एवं सैयद शब्बीर अहमद फिरदौसी, मौलाना दरगाह गया बिहार के पवित्र हाथों से सर पर पगड़ी बांध कर दस्तार किया गया।
साथ ही इस्लामिक क्विज कंपटीशन में कामयाब होने वाले छात्रों को अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष शमशेर आलम के हाथों उन्हें मेडल और पदक दे कर पुरस्कृत किया गया। शमशेर साहब ने मदरसा के विस्तारीकरण के लिए इसके ऊपर एक और मंजिल बनाने के लिए अपनी सहमति भी दी।
तमाम विद्वानों और माशाइख के नूरानी व इस्लाही बयान के बाद, अल्लामा मौलाना मुफ्ती इस्लामुल क़ादरी ने शेख यासीन और इनके बच्चों दूसरा जमीन दे कर मदरसा से मुहब्बत और मदरसा बनने की शुरुआत से ले कर अभी तक का हाल बहुत ही अच्छी तरह से रखा कहा कि
मदरसा बनते समय मुफ़्ती यूनुस साहब ने कहा कि ज़मीन की क़ीमत एक रुपया है और तुम्हारा इनाम 5000 रुपये है। इस पर मौलाना इस्लाम ने शेख़ यासीन साहब की पत्नी से कहा कि अपने बड़े बेटे से पूछो। इस पर दोनों ने दो टूक कहा कि जब हम दोनों ज़िंदा हैं और राज़ी हैं तो बच्चों से पूछने की क्या ज़रूरत है? उस समय श्री सईद साहब के सहयोग से 30/20 नाप के छः6 कमरे और लम्बे-चौड़े बरामदे के साथ इस संस्थान की आधारशिला रखी गई। झारखंड राज्य के कल्याण मंत्री ने अपने निजी कोष से शहीद शेख भीकारी के नाम पर एक विद्यालय भवन का निर्माण कराया। मौलाना इस्लाम अल-कादरी साहब ने कहा कि शहीद शेख भिकारी एक ऐसा नाम है कि जहां भी उनके नाम पर जमीन उपलब्ध होगी। उम्मत के कोई भी सदस्य जो भी बनाना चाहेंगे, बनाएंगे।
साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय के आय-व्यय पर चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षकों के वेतन का प्रबंध सहयोग और सहायता से होता है। अगर अहले सुन्नत वल जमात के सदस्य इस ओर ध्यान दें और संस्थान के बाहरी इलाके खासकर रांची शहर के जिंदादिल मुसलमान अपने सभी खर्चों से कुछ पैसे बचाकर शहीद शेख भिकारी विश्वविद्यालय को सालाना सिर्फ पांच हजार रुपये दान करें तो शिक्षकों के वेतन की समस्या हल हो जाएगी।
बाद में भारत के प्रसिद्ध और प्रख्यात वक्ता हज़रत अल्लामा मौलाना डॉ. मुहम्मद ज़ाकिर हुसैन ने कहा कि वतन की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद शेख़ भिकारी का ज़िक्र किया और लोगों को उनकी कुर्बानियों की याद दिलाई। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह उन्होंने अपने वतन की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, उसी तरह आप भी अपने बच्चों को हाफ़िज़ और आलिम बनाकर अपने दीन और ईमान की रक्षा करें। जलसे का समापन पीर तरीकत, रहबरे शरीयत हजरत अल्लामा मुफ्ती डॉ. मुहम्मद यूनुस रजा मूनिस ओवैसी की दुआओं के साथ हुआ। धन्यवाद ज्ञापन प्रिंसिपल सद्दाम अजहरी ने किया। साथ ही आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। मौके पर मौलाना मुहम्मद शोएब रजा, उपकुलपति हाफिज व कारी अयूब रजा ओवैसी, शिक्षक मौलाना कलाम,
प्रबंध समिति के अध्यक्ष इंजीनियर रबील, मौलाना शोएब ,अशरफ, इमाम, अर्शी, एजाज, नदीम समेत सैंकड़ों लोग थे।

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