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सुख-समृद्धि का प्रतीक पर्व है धनतेरस

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धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, दिवाली के त्योहार का पहला दिन है। यह हिंदू कैलेंडर के अश्विन या कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की तेरहवीं चंद्र दिन पर मनाया जाता है।

धनतेरस का महत्व

धनतेरस स्वास्थ्य और धन का त्योहार है। इस दिन लोग आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर देव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी, झाड़ू, बर्तन और अन्य चीजें खरीदने से धन तेरह गुना बढ़ जाता है।

धनतेरस की रस्में और परंपराएं

धनतेरस के दिन घरों की साफ-सफाई की जाती है और मुख्य द्वार पर रंगीन लालटेन और सजावटी लाइट्स लगाए जाते हैं। लोग दीये (मिट्टी के दीये) जलाते हैं और उन्हें अपने घर के दरवाजे पर रखते हैं ताकि लक्ष्मी जी, धन और समृद्धि की देवी, उनके घर में प्रवेश करें।

धनतेरस की कथाएं

धनतेरस से जुड़ी एक अन्य कथा राजा हीम के 16 वर्षीय पुत्र से जुड़ी है, जिसकी कुंडली में विवाह के चौथे दिन सांप के काटने से मृत्यु की भविष्यवाणी थी। लेकिन उसकी पत्नी की चतुराई और भक्ति ने उसकी जान बचा ली। इसके बाद से इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा।

धनतेरस के अन्य रोचक तथ्य

*धनतेरस को भारत में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
*जैन धर्म में, इस दिन को धंयातेरस के रूप में मनाया जाता है, जिसका अर्थ है “शुभ दिन”
*प्रस्तुति : कुमकुम सिंह

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