मोती पालन के लिए किसानों को प्रशिक्षण व टूल किट का निशुल्क वितरण : अमरेन्द्र कुमार
आईआईटीएफ -2024 के झारखंड पवेलियन में मत्स्य निदेशालय का स्टॉल बना आकर्षण का केंद्र
*मोती की खेती के तरीकों से अवगत हो रहे लोग
रांची/नई दिल्ली। नई दिल्ली में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (आईआईटीएफ-2024) के झारखंड पेवेलियन में मत्स्य निदेशालय (मत्स्य अनुसंधान केन्द्र) का स्टॉल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। स्टाॅल पर मत्स्य निदेशालय द्वारा विशेष रूप से मोती उत्पादन की विधि के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है। विभाग द्वारा झारखंड मंडप में आने वाले दर्शकों को मत्स्य पालन के अलावा मोती उत्पादन के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। स्टाॅल में आने वाले आगंतुकों को मत्स्य निदेशालय की ओर से मोती की खेती के तौर-तरीकों और इससे अर्जित होने वाली आमदनी के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
इस संबंध में झारखंड मत्स्य निदेशालय के उप निदेशक अमरेंद्र कुमार ने बताया कि झारखंड मंडप में मत्स्य पालन विभाग द्वारा मोती उत्पादन के बारे में डेमो डिस्प्ले किया गया है।
पूरे मेले में एकमात्र झारखंड राज्य के मत्स्य निदेशालय की ओर से स्टॉल लगाया गया है, जहां पर मोती की खेती को बढ़ावा देने और इससे आय अर्जित करने के बारे में लोगों को अवगत कराया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि झारखंड में विगत चार वर्षों से मोती की खेती की जा रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत पायलट प्रोजेक्ट के तहत मोती के उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में विभाग अग्रसर है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत झारखंड को मोती उत्पादन के लिए लीड राज्य घोषित किया गया है। मत्स्य निदेशालय में कलस्टर आधारित मोती पालन के लिए किसानों को विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि मत्स्य किसानों को विशेष रूप से मोती उत्पादन के लिए 45 दिनों का प्रशिक्षण दिया जाता है। तत्पश्चात मोती उत्पादन के लिए आवश्यक उपकरण व टूल किट आदि का वितरण भी निदेशालय की ओर से किसानों को निःशुल्क किया जाता है।
उन्होंने कहा कि मत्स्य कृषक अपने तालाबों, जलाशयों आदि में मछली उत्पादन के अतिरिक्त मोती की खेती कर आमदनी बढ़ा सकते हैं।
मोती उत्पादन किसानों की आमदनी बढ़ाने में काफी सहायक साबित होगा।
उन्होंने कहा कि झारखंड का मत्स्य निदेशालय मछली उत्पादन के क्षेत्र में नित नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है।
राज्य को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभाग द्वारा मत्स्य कृषकों को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है।
विभागीय सचिव एवं मत्स्य निदेशालय के निदेशक डॉ.एचएन द्विवेदी के नेतृत्व में कुशल अधिकारियों की टीम मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ मोती उत्पादन में भी कीर्तिमान बनाने की दिशा में प्रयासरत है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक आईआईटीएफ के झारखंड मंडप में बने मत्स्य निदेशालय का स्टाॅल आम नागरिकों के अतिरिक्त मीडिया कर्मियों के लिए भी कौतूहल का केंद्र बना है।
*मत्स्य निदेशालय की बी-टू-बी में शामिल हुए निवेशक
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के झारखंड मंडप में मत्स्य विभाग की ओर से बी2बी बैठक आयोजित की गई। इस मौके पर झारखंड सरकार के मत्स्य निदेशालय के उप निदेशक अमरेंद्र कुमार, उप निदेशक रवि रंजन कुमार, (मत्स्य अनुसंधान) व मुख्य प्रशिक्षक प्रशांत कुमार दीपक के साथ दो निवेशक/फर्म के प्रतिनिधि शामिल हुए।