Saturday, July 27, 2024
Ranchi News

रमजान में जकात निकालने का 70 गुना सवाब कमाई का 2.5% हिस्सा

 

रमजान में जकात निकालने का 70 गुना सवाब कमाई का 2.5% हिस्सा जकात में देना जरूरी


रांची ( गुलाम शाहिद ) रमजान का पवित्र महीना चल रहा है, इस महीने में सभी मुसलमान रोज़े रखते हैं और ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत करते हैं. इसके अलावा इस महीने में लोग फितरा, जकात और सदका भी अदा करते हैं. इस खबर में आज हम आपको यही बताएंगे कि आखिर फितरा, सदका और ज़कात क्या होते है और ये किस तरह अदा किए जाते हैं. तो चलिए जानते हैं.
फितरा : इस्लाम में जकात के अलावा फितरा निकालना मुसलमानों पर फर्ज है। हर मुस्लिम परिवार में उसके सदस्याें के हिसाब से यह अदा किया जाता है। यदि ईद की नमाज के पहले कोई बच्चा भी पैदा होता है तो उसके भी नाम फितरा निकालना वाजिब है। फितरा प्रत्येक व्यक्ति पर दो किलो 45 ग्राम जौ या गेहूं या उसके बदले उसकी कीमत जो बनता है वह निकाला जाता है।
जकात : कुरान के मुताबिक हर मुसलमान को सालभर ( चांद कैलेंडर.) में अपनी आमदनी का 2.5 प्रतिशत हिस्सा गरीबों को दान में देना चाहिए। इस दान को जकात कहते हैं।
खैरात: ऐसे लोगों की आर्थिक मदद करना, जिन्हें दो वक्त की रोटी तक नहीं मिलती है। यह स्वैच्छिक दान है।रमजान में राेजा रखने के साथ नमाज अाैर कुरान पढ़ना जहां इबादत का जरूरी हिस्सा है, वहीं रमजान में राेजे नमाज के बाद सबसे ज्यादा जरूरी है जकात देना। 
इस्लाम में फकीर, मिस्कीन, मुसाफिर को जकात दी जा सकती है। अगर काेई फकीर या मिस्कीन नहीं मिले ताे मदरसे में भी जकात की राशि दी जाती है। रमजान के दुसरा अशरा पूरा हाेने के बाद अब राेजेदार फकीराें अाैर मिस्कीन काे जकात, खैरात के रूप में कपड़े, पैसे सहित कई अन्य सामान देकर सवाब कमा रहे है।रमजान में निकाली जानेवाली जकात की रकम गरीबों की मदद का जरिया है। इससे गरीब भी ईद का त्योहार मना लेते हैं। उनके दिल में पैसा न होने का मलाल नहीं रहता। इनकी मदद के लिए ही अल्लाह ने जकात का निकाला जाना वाजिब किया है। हर मुसलमान को इसे अदा कर देना चाहिए। गरीब लड़कियों की शादी में मदद करना, निराश्रित विधवाओं की मदद करना, गरीब गर्भवती महिलाओं की मदद करना, गरीब मरीजों के इलाज में मदद करना, गरीब बच्चों की स्कूल फीस भरना और उनके लिए किताबें-कॉपियां खरीद कर देना, इलाके के गरीब लोगों की जरूरतों को पूरा करना जैसे कई सामाजिक कार्य हैं, जिन्हें जकात की रकम से पूरा किया जा सकता है।

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