शिव की उपासना के साथ प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का लें संकल्प : तुषार कांति
रांची। सामाजिक संस्था श्री रामकृष्ण सेवा संघ के सहायक सचिव और जाने-माने समाजसेवी तुषार कांति शीट ने कहा है कि सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना के साथ ही प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन का भी संकल्प लें। सावन माह में शिव की उपासना की विशेष महत्ता है। सावन के महीने में वर्षा के कारण खेतों की भरपूर सिंचाई होती है और प्रकृति भी अपने पूरे हरे-भरे रूप में नजर आती है। ऐसे में वर्षा के महीने में हम अधिक से अधिक जल संरक्षण और पौधारोपण कर हरियाली के सिमटते दायरे और जलाशयों के सूखने के संकट से छुटकारा पा सकते हैं। अपने भविष्य को सुरक्षित और जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।
श्री शीट ने कहा कि सावन महीने में शिव की आराधना के साथ-साथ भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों से भी हमें सीख लेने की जरूरत है। यह सर्वविदित है कि भगवान शिव को दो चीजें अधिक प्रिय हैं, जल और बेलपत्र। जल यानी पानी और बेलपत्र अर्थात हरियाली। इसमें प्रकृति को समझने और पर्यावरण संरक्षण का संदेश समाहित है। सावन के महीने में पेड़-पौधों में नई कोंपल प्रकृति को नवयौवन के रूप में निखारती है। इससे हमारे भीतर भी नई ऊर्जा का संचार होता है। आएं, भगवान शिव के प्रिय मास सावन के बहाने नए पेड़ लगाने का संकल्प लें।
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