अवकाश लेकर चलें शिक्षक धरना-प्रदर्शन के मैदान में : संयुक्त शिक्षक मोर्चा
राँची, 17/12/2023,
आज दिनांक 17 दिसंबर 2023 को झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा की बैठक संयोजक श्री अमीन अहमद की अध्यक्षता में समाजसेवी नवीन जी के आवासीय परिसर में संपन्न हुई। बैठक में प्रमुख रूप से अमरनाथ झा, अमीन अहमद, अरुण कुमार दास, विजय बहादुर सिंह,आशुतोष कुमार, धर्मदेव प्रसाद सहित कई शिक्षक प्रतिनिधि उपस्थित थे।
इस बैठक में मुख्य रूप से एम ए सी पी संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर 19 दिसंबर को पूर्वाहन 11:00 से विधानसभा के निर्धारित धरना स्थल (साईं मंदिर पुंदाग के समीप कूटे बस्ती) में आहूत एक दिवसीय सांकेतिक धरना को शिक्षक हित में राज्य के तमाम प्राथमिक संवर्ग के शिक्षकों को एक दिन की आकस्मिक अवकाश लेकर धरना प्रदर्शन को सफल बनाने का आह्वान किया है।
इस हेतु संयुक्त मोर्चा ने रांची, रामगढ़, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, लोहरदगा, गुमला, गोड्डा, धनबाद, बोकारो, पाकुड़, गिरिडीह आदि जिलों के अध्यक्ष एवं महामंत्री से दूरभाष पर संपर्क स्थापित कर कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए अधिक से अधिक संख्या में धरना प्रदर्शन में शामिल होने की अपील किया।
मोर्चा के प्रदेश संयोजक अमीन अहमद एवं प्रवक्ता ने कहा कि राज्य के सभी कर्मचारियों को उनके सेवा शर्तों के अनुरूप नियमित प्रोन्नति के साथ-साथ 10, 20 एवं 30 वर्षों की सेवा अवधि पूर्ण होने पर एम ए सी पी का लाभ दिया जाता है, जबकि राज्य के शिक्षकों को न तो नियमित प्रोन्नति ही दिया जाता है और न ही एम ए सी पी का लाभ। फलस्वरूप शिक्षक बिना कोई वित्तीय उन्नयन के अपने बेसिक पद से ही सेवानिवृत्त होते चले जा रहे हैं, जो निश्चित रूप से विभाग अथवा सरकार की शिक्षकों के प्रति उदासीन रवैया की ओर इंगित करता है एवं शिक्षकों से भेदभावपूर्ण नीति को प्रदर्शित करता है। विडंबना तो यह है कि पूर्ववर्ती राज्य बिहार ने अपने विसंगतियों को सुधारते हुए बिहार के सभी कोटि के शिक्षकों को अपने कर्मचारियों के समान एम ए सी पी का लाभ दे रही है। यद्यपि इस सन्दर्भ में सरकार के मुख्यमंत्री से लेकर तमाम पदाधिकारियों को मोर्चा ने वार्ता एवं ज्ञापन के माध्यम से कई बार शिक्षकों को एम ए सी पी का लाभ देने की मांग करते आ रही है, बावजूद विभाग की मंशा एवं नियत साफ अथवा स्पष्ट दिखाई नहीं दे पा रही है।
मोर्चा के द्वारा राज्य के माननीय विधायक गण के माध्यम से विधानसभा के प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति में वाद भी चली जिसके निर्देशों को भी विभाग के द्वारा अप्रसांगिक हो चुके नियमों का हवाला देकर मामला को उलझाने का कार्य किया जा रहा है, फलस्वरूप शिक्षकों को विद्यालय में रहने के स्थान पर सड़क पर धरना-प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। जिसका प्रतिकूल प्रभाव राज्य के शिक्षा व्यवस्था पड़ रहा है, जिसका पूर्ण जिम्मेवारी विभाग को ही जाती है।
ऐसे प्रतिकूल परिस्थिति में मोर्चा को घोषित धधरना-प्रदर्शन के लिए शिक्षक में हित शामिल होना पड़ रहा है।