धारा 163 लागू, 60 दिनों के लिए, जाने किया है धारा 163

रांची में बिना इजाजत धरना-प्रदर्शन पर रोक

रांची। प्राप्त सूचनानुसार कतिपय संगठनों/दलों द्वारा धरना, प्रदर्शन, जुलूस, रैली इत्यादि किए जाने की सूचना है। हाल के दिनों में पूर्व में निर्धारित स्थान जाकिर हुसैन पार्क की जगह यह कार्यक्रम राजभवन मुख्य द्वार, मुख्यमंत्री आवास, काँके रोड पर भी हो रहे हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों से सरकारी काम-काज में व्यवधान उत्पन्न होने के साथ-साथ यातायात व्यवस्था बाधित होने एवं विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने तथा लोक परिशांति भंग होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। जिसको लेकर अनुमंडल दण्डाधिकारी, सदर, रांची, उत्कर्ष कुमार द्वारा बि० एन० एस० एस० की धारा-163 के अंतर्गत प्रदत्त
60 दिन तक धारा 163 लागू
शक्तियों का प्रयोग करते हुए राँची सदर अनुमंडल अंतर्गत मुख्यमंत्री आवास काँके रोड के चाहरदीवारी से 100 मीटर की परिधि में। राजभवन के चाहरदीवारी से 100 मीटर की परिधि में जाकिर हुसैन पार्क को छोड़ कर झारखण्ड उच्च न्यायालय के चाहरदीवारी से 100 मीटर की परिधि में। नये विधान सभा के चाहरदीवारी से 500 मीटर की परिधि में।
प्रोजेक्ट भवन, नेपाल हाउस, भवन के 100 मीटर की परिधि में।
प्रोजेक्ट भवन, एच.ई.सी. धुर्वा, भवन के 200 मीटर की परिधि में।
बिना सक्षम प्राधिकार के पुवानुमति के किसी प्रकार के धरना, प्रदर्शन, घेराव, जुलूस, रैली या आमसभा का आयोजन करना। सरकारी कार्य में लगे पदाधिकारियों / कर्मचारियों एवं न्यायालय कार्य एवं धार्मिक तथा अंत्येष्टि कार्यक्रम को छोड़कर)। किसी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र, जैसे-बंदुक, राईफल, रिवाल्वर, पिस्टल, बम, बारूद आदि लेकर निकलना या चलना। (सरकारी कार्य में लगे पदाधिकारियों/ कर्मचारियों को छोड़कर)।
किसी प्रकार के हरवे हथियार जैसे लाठी-डंडा, तीर-धनुष, गड़ासा-भाला आदि लेकर निकलना या चलना। (सरकारी कार्य में लगे पदाधिकारियों / कर्मचारियों को छोड़कर)।
किया है धारा 163
धारा 163 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2024 का एक प्रावधान है जो आपातकालीन स्थितियों में त्वरित कार्रवाई के लिए मजिस्ट्रेट को अधिकार देता है। यह धारा सार्वजनिक शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए है।
कब लगती है?
- आपातकालीन स्थिति में जब किसी भी प्रकार का खतरा हो, जैसे कि सार्वजनिक शांति भंग होने की आशंका, या कोई अन्य गंभीर समस्या जो कानून और व्यवस्था को बाधित कर सकती है.
- public places पर भीड़भाड़ या इकट्ठा होने पर रोक लगाने के लिए.
- किसी भी तरह के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए.
- अस्थिर या संवेदनशील समय के दौरान, जैसे कि त्यौहार या चुनाव.
यह कैसे काम करती है?
जब मजिस्ट्रेट धारा 163 के तहत आदेश जारी करते हैं, तो इसका मतलब है कि कुछ प्रतिबंध लगाए जाएंगे, जैसे कि:
- सार्वजनिक स्थानों पर इकट्ठा होने पर रोक.
- नुक्कड़ सभाओं, विरोध प्रदर्शनों और जनसभाओं पर प्रतिबंध.
- कोई भी प्रदर्शन या विरोध प्रदर्शन बिना अनुमति के नहीं किया जा सकता.
- कुछ क्षेत्रों में हथियार लेकर चलने पर भी प्रतिबंध.
धारा 163 के तहत, मजिस्ट्रेट के पास कुछ और अधिकार भी होते हैं, जैसे कि किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने, तलाशी लेने, या कुछ अन्य आवश्यक कदम उठाने के लिए।
धारा 144 और धारा 163 में अंतर किया है
धारा 144 और धारा 163 में मुख्य अंतर यह है कि धारा 144 भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा है, जबकि धारा 163 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा है. धारा 144 का उपयोग तत्काल मामलों में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जाता है, जबकि धारा 163 उपद्रव या आशंका वाले खतरे के तत्काल मामलों में आदेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है.
