मालिके निसाब जकात अदा करने में कोताही न करें: एदार ए शरिया झारखंड
रांची:- एदार ए शरिया झारखंड के मुख्य प्रशासक नाजिमे आला मौलाना मुहम्मद कुतुबुद्दीन रिज़वी ने कहा कि ज़कात इस्लाम के सबसे महत्वपूर्ण रुक्न में से एक है और जकात सफलता की गारंटी है। अल्लाह तआला का फरमान है कि जो लोग समृद्ध हैं वे ही सफल हैं जो ज़कात देते हैं। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो दौलत बर्बाद होती है वह जकात न देने से बर्बाद होती है।
मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा कि जकात को गरीबों में कभी भी बांटा जा सकता है, लेकिन पवित्र महीने में जकात देने का सवाब बहुत बढ़ जाता है और यह मजबुर, जरूरतमंदों, यतीमों, बेसहारों के लिए बेहतर है, ताकि वह भी खुशियों के भागीदार बन सकें। ईद-उल-फितर की खुशियों का आनंद ले सकें और जकात, फितरा, सदाकत और अन्य दान के साथ मदरसों का भी सहयोग करें। ,मौलाना रिजवी ने कहा कि जकात और अन्य धार्मिक जानकारीयां विस्तार से बहारे शरियत, कानुने शरीयत, फतवा रज़विया और अन्य धार्मिक पुस्तकों से जानकारी हासिल कर सकते हैं।। उन्होंने कहा कि जकात फर्ज है और अदा नहीं करने वाला गुनाहगार है। जकात फर्ज होने की निम्नलिखित शर्तें हैं- मुसलमान होना, परिपक्व होना, बुद्धिमान होना, स्वतंत्र होना, माल या रकम का मालिक होना। धर्म के पाठ्यक्रम पर पूर्ण स्वामित्व हो, अर्थात कर्ज से छुटकारा, अमीर बनना, साल गुजारना।
मौलाना रिजवी ने कहा कि जकात-व-फितरा देते समय यह देखना जरूरी है कि जिसे दिया जा रहा है वह वास्तव में जरूरतमंद है, अन्यथा जकात-व-फितरा अदा नहीं होगा।। जकात इसलाम का वह पवित्र अंग है जिस से अधिकारों की प्राप्ति और नेक समाज के निर्माण में मदद मिलती है। नाजिमे आला ने कहा है कि एदार ए शरीया जनता के मसाइल के हल के लिए हमेशा तत्पर है, जकात, तेलावत, रोजा, सेहरी, इफतार, नमाज, व अन्य धार्मिक मसाइल से सम्बंधित एदार ए शरीया झारखंड के मुफ्तीयाने केराम मौलाना मुफ्ती आबिद हुसैन मिस्बाही, मौलाना मुफ्ती अनवर निज़ामी मिस्बाही, मौलाना मुफ्ती इजाज हुसैन मिस्बाही, मौलाना मुफ्ती फैजुल्लाह मिस्बाही समेत झारखंड के काजीयाने शरियत और मुफ्तियों से संपर्क कर समस्याओं के नेदान हेतु जानकारी ली जा सकती है।