रांची में रामनवमी पर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, मुस्लिम संगठनों ने जगह-जगह किया जुलूस का स्वागत


आदिल रशीद संवाददाता
रांची: रामनवमी पर्व को लेकर रांची में उत्सह देखते ही बन रहा है। इस मौके पर राजधानी की सड़कों पर भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं की भूमिका देखने को मिली।
ऐसे में रामनवमी के पर्व में शांति और भाईचारगी बनी रहे, इसके लिए हर महजब के लोगों ने इस शोभायात्रा में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। शायर अल्लामा इक्बाल ने लिखा है “है राम के वजूद पर हिंदुस्तांन को नाज, अहले नजर समझते हैं इनको इमाम-ए-हिंद”. रांची के विभिन्न मुस्लिम संगठनों, तंजीमों, सोसाइटी और अंजुमनों ने अल्लामा इक्बाल के ही रास्ते पर चलते हुए रामनवमी की शोभायात्रा का शानदार स्वागत किया।

स्वागत शिविरों अखाड़ा प्रमुख को फूल, माला, पगड़ी, मोमेंटो देकर स्वागत किया। वहीं जुलूस में चल रहे राम भक्तों का चना, गुड, शरबत, पानी, संतरा, केला, तरबूज, मिठी सेवइयां देकर स्वागत किया। यह मौका इतना खूबसूरत था, जो हिंदुस्तान में ही सम्भव है। सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के केंद्रीय अध्यक्ष मो. सईद, अकीलुर रहमान, आफताब आलम, तौहीद, मो. इस्लाम, डॉक्टर एम हसनैन, शमशेर आलम ने कहा कि कमेटी की ओर से हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कैफे मुगल के सामने स्वागत शिविर लगाकर शोभायात्रा में चल रहे श्रद्धालु और रामभक्तों का चना, गुड़ और शर्बत-पानी से स्वागत किया जा रहा है।

कई मुस्लिम संगठनों ने लगाए शिविर
सेंट्रल मुहर्रम कमिटी, इमाम बख्श अखाड़ा, रांची पब्लिक स्कूल, झारखंड तंजीम, एआईएमआईएम, सत्यभारती, आम जनता हेल्पलाइन, सर्वधर्म सद्भावना समिति, डेली मार्केट, कर्बला चौक दुकानदार समिति, कर्बला चौक नौजवान समिति, अंजुमन इस्लामिया हॉस्पिटल, झामुमो के फरीद खान समिति समेत दर्जनों मुस्लिम संगठनो ने स्वागत शिविर लगा कर जुलूस का स्वागत किया।

सभी ने कहा हम हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखना है। एकता का राज चलेगा, हिन्दू मुस्लिम साथ चलेगा। इस स्लोगन पर आगे बढ़ रहे है।

वक्फ संशोधन बिल अलग है
सभी ने कहा अभी हम लोग स्वागत शिविर लगाकर हिंदू मुस्लिम एकता को मजबूत करना है। और यही हमारी परंपरा रही है। जब वक्फ बिल की लड़ाई लड़नी होगी तो हम सब उसके लिए भी तैयार हैं।

मौके पर खालिद खलील, मो महबूब, नौशाद, तनवीर आलम, राशिद जमील, जुनैद आलम, रजीब, जाहिद, अनवर, हाजी मुख्तार, अन्नू, सन्नी, मास्टर शहीद, हाजी माशूक, अफरोज आलम, हाजी साहेब अली, महताब, सरवर खान, हाजी तनवीर समेत सैंकड़ों लोग थे।

