शिक्षा एक नूर है और जिहालत एक अंधेरा : मौलाना आबिद बिलग्रामी


रांची : शिक्षा एक नूर है और जिहालत एक अंधेरा है। आपस में मिलजुल कर रहे नफरत एक कैंसर की बीमारी की तरह है। किसी भी मजहब में नफरत करना नहीं सिखाया जाता है। उक्त बातें शिया धर्मगुरु और इस्लामिक स्कॉलर हजरत मौलाना आबिद बिलग्रामी हैदराबादी ने कहीं। वह झारखंड की राजधानी रांची के मस्जिद जाफरिया में एक मरहूमा के चेहल्लुम की मजलिस पढ़ने बतौर मुख्यातिथि आए थे।
उन्होंने समाज के लिए पैगाम देते हुए कहा कि हम सब एकता, शिक्षा को बढ़ाए, अपना आचरण अच्छा करे, प्यार मोहब्बत से रहे। नौजवान नशा से दूर रहे नशा पूरी तरह हराम है। उन्होंने मां-बाप को सलाह दी कि वह बच्चों को अच्छी तबीयत दे। घर पर अच्छी तबीयत मिलेगी तो वह बाहर भी अच्छे रहेंगे। मैं नौजवानों से कहना चाहता हूं कि अपने मां बाप और बड़ों की बात को सुने उनका का एहतराम करें, यही कामयाबी का रास्ता है।
इस मौके पर मौलाना बाकर रज़ा दानिश, अब्बास राजा, मौलाना सैयद अनवर, सैयद फराज अब्बास, सैयद इस्माइल हसन, सैयद इब्राहिम हसन, सैयद शाहरुख रिजवी और कासिम अली रांचवी, सैयद अता इमाम रिजवी, इकबाल फातमी, समेत कई लोग मौजूद थे।
