Saturday, July 27, 2024
Ranchi News

देश में मजबूत लोकतंत्र के लिए आज़ादी से भी बड़ी लड़ाई लड़नी होगी: कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य

 

रांची: ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम,झारखंड की तरफ से आज डॉ क़ामिल बुल्के हॉल,मनरेसा हाउस,रांची में “मौजूदा समय में बढ़ते सांप्रदायिक-कॉरपोरेट फासीवाद और लोकतांत्रिक प्रतिरोध” विषय पर परिचर्चा हुई,जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि देश में मजबूत लोकतंत्र के लिए आज़ादी से भी बड़ी लड़ाई लड़नी होनी,भारत में साझी संस्कृति एवं सभ्यता की लंबी इतिहासिक विरासत है,देश में बढ़ते सांप्रदायिक कॉरपोरेट फासीवाद हमले के बावजूद अभी भी बहुत कुछ है,

तीखे उन्मादी,नफ़रत की भाषा का इस्तेमाल कर देश में तनावपूर्ण एवं हिँसक माहौल बनाया जा रहा है,जिसमें तमाम धार्मिक आयोजनों का इस्तेमाल राजनैतिक धुर्वीकरण के मक़सद से किया जा रहा है.
सांप्रदायिक और कॉरपोरेट ताकतें एक दूसरे के लिए है इसे ब्रिटिश हुकूमत ने सिखाया था.
देश के तमाम विपक्षी एकता एवं सामाजिक एकता का मोर्चा बनाकर 2024 में बीजेपी की वापसी न हो उसका प्रयास हो रहा है.

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रवि भूषण(राष्ट्रीय अध्यक्ष, जसम) ने कहा कि कॉरपोरेट और सांप्रदायिक फासीवाद ताकतों का आलिंगन और गहरा हो गया है,हम सभी एक भयावह और अंधकार के दौर से गुजर रहें है,लेकिन जहां भी चिराग़ जल रहें है वहां जलाते हुए मशाल का रूप देना होगा,देश में आगामी लोकसभा चुनाव में मौजूदा सत्ता के ख़िलाफ़  तमाम विपक्षी ताकतों को एकजुट होकर वन-टू-वन ही फाइट करना जरूरी है.तभी मौजूदा सांप्रदायिक-कॉरपोरेट फासीवाद सत्ता को हटाया जा सकता है.
विधायक कॉमरेड विनोद सिंह(राष्ट्रीय अभियान समिति,एआईपीएफ झारखंड) ने कहा कि देश में अभी कॉरपोरेट लूट का मॉडल चल रहा है,जिन राज्यों में ग़ैर बीजेपी दलों की सरकार है वहां भी वही मॉडल चलाने की कोशिश है,जल-जंगल जमीन की लूट के लिए सांप्रदायिक विभाजन का माहौल बनाया जाता है।रोज़ी रोजगार एवं खनिज या अन्य संसाधन की लूट के लिए दमन और मानवाधिकार का हनन किया जाता है 
फिल्ममेकर मेघनाथ ने कहा कि फ़िल्म के आधार पर सांप्रदायिक-कॉरपोरेट फासीवाद निज़ाम के ख़िलाफ़ जनजागरूकता के लिए डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का उपयोग करना चाहिए.
वरिष्ट पत्रकार विनोद कुमार ने कहा कि अघोषित फासीवाद चल रहा है जो कुछ अर्थो में ज़्यादा खतरनाक है.प्रगतिशील और लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट होकर ऐसी सत्ता को हटाना जरूरी है.
इनके अलावा एस. अली,दामोदर तुरी,सयैद गुलफ़ाम अशरफी,वाल्टर कंलडुलना ने भी विचार रखें.

परिचर्चा की अध्यक्षता वरिष्ट आदिवासी चिंतक वाल्टर कंलडुलना एवं साहित्यिक सयैद गुलफ़ाम अशरफी ने की एवं मंच संचालन एआईपीएफ के नदीम खान सहित विषय प्रवेश एआईपीएफ के ज़ेवियर कुजूर ने किया.
कार्यक्रम में आंदोलनकारी,बुध्दिजीवी, लेखक,पत्रकार, सामाजिक एवं मानवधिकार कार्यकर्ता सहित सैकड़ों की संख्या में शामिल हुए.
कार्यक्रम में मुख्य रूप से जसम अध्यक्ष झारखंड शम्बू सिंह बादल,नंदिता भट्टाचार्य,मो अकरम,इम्तियाज सोनू,अब्दुल जब्बार,गुलजार अंसारी,मो बब्बर,अभिजीत मल्लिक,अंशुमान कुमार,अनंत कुमार,अधिवक्ता राजदीप चंद्रवंशी, अधिवक्ता जयंत पांडेय,सीधेश्वर पासवान,बब्लू, शाहनवाज खातून,रोबर्ट मिंज,मीनू सिंह,शकील अहमद, नसीम खान,नौशाद आलम,मनोज भक्त,जनार्दन प्रसाद,मोहन दत्ता,शुवेन्दु सेन,भुनेश्वर केवट समेत अन्य शामिल थे.
प्रेस विज्ञप्ति नदीम खान एवं ज़ेवियर कुजुर द्वारा जारी…

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