रमज़ान इंसान के अन्दर की बुराई को मिटाता है: अधिवक्ता शाहिद जमाल

रांची: रोज़ा आपके अन्दर तक़वा,ईमानदारी,सब्र करने का सीधा संबंध स्थापित करने का ज़रिया है। रोज़ा गुनाहों को मिटा देता है। रोज़ा महज़ खाने पीने से परहेज़ करने का नाम नही है,बल्कि रोज़ेदार का रोज़ा तमाम जिस्म के अज़ा का रोज़ा होता है। इस महीने इबादत करने से लोगों के सारे गुनाह माफ़ हो जाते हैं। रमज़ान का महीना सभी महीनों से अफ़ज़ल है।

इस महीना हमे तक़वा और परहेज़गारी के साथ साथ गरीबों मजबूर ,बे सहरों को मदद करनी चाहिए। रमज़ान में नफिल नमाज़ का सवाब फ़र्ज़ के बराबर मिलता है और फ़र्ज़ का सवाब 70 गुना बढ़ जाता है। रमज़ान इन्सान के लिए उस नज़रिये के अनुसार है जो अपनी कमजोरियों और जुनून के खिलाफ लड़ने की ताकत और एक इंसान को अपने जीवन में लगातार सुधार करने की तालीम देता है। रमज़ान इंसान के अन्दर की बुराई को मिटाता है। रमज़ान महीने का आखरी अशरा अब 27, 29 हैं जो नेमतों, मगफिरत का महीना ही नही बल्कि इस आखरी अशरे में जो शख्श अपने करीब की मस्जिद में एतेकाफ करता है उसे दो उमरे, और हज का सबाब मिलता है। साथ ही उस महल्ले में आने वाले मुसिबतों से निजात दिलाने वाला है।
इस आखरी महीने में हमे ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करनी चाहिए। साथी आस पड़ोस रिश्तेदार गरीबों की दिल खोलकर मदद करनी चाहिए। अधिवक्ता शाहिद जमाल सिविल कोर्ट रांची।
