मुख्यमंत्री से मिलकर संयुक्त शिक्षक मोर्चा ने रखी अपनी लंबित मांग, सभी मांगे हमारे संज्ञान में, जल्द होगा समाधान : मुख्यमंत्री, झारखंड सरकार
छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश के तर्ज पर झारखंड में भी शिक्षकों सहित राज्यकर्मियों की सेवानिवृति उम्र 62 वर्ष करने की मांग
चुनाव आचार संहिता के पूर्व अविलंब बिहार के शिक्षकों के तर्ज पर झारखंड के शिक्षकों को मिले एम ए सी पी का लाभ
उत्क्रमित वेतनमान का भी वर्षों से शिक्षक कर रहे हैं इंतेजार, सरकार जल्द करे सुधार : संयुक्त शिक्षक मोर्चा
राँची, 08 सितंबर, 2024,
झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा के सदस्य राज्य के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन से उनके आवासीय कार्यालय में मिलकर राज्य के शिक्षको के लंबित एवं जायज मांगों को उनके समक्ष विस्तार से रखा गया। मुख्यमंत्री महोदय ने शिक्षकों के लंबित मांगों पर विचार करते हुए कहा कि शिक्षकों के सभी मांगे उनके संज्ञान में हैं और वो जल्द इसके समाधान के लिए प्रयास कर रहे हैं।
मोर्चा के प्रदेश संयोजक अमीन अहमद एवं प्रवक्ता अरुण कुमार दास ने जानकारी देते हुए बताया है कि राज्य के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों के साथ हो रहे आर्थिक अत्याचार को एम ए सी पी का लाभ देकर राज्य सरकार इसे दूर कर सकती है। विडंबना है कि शिक्षकों को छोड़कर राज्य के सभी कर्मचारियों को नियमित रुप से पद प्रोन्नति एवं एम ए सी पी का लाभ नियमानुकूल दिया जाता है, परन्तु शिक्षकों को न तो प्रोन्नति ही मिलता है और ना ही एम ए सी पी का लाभ।
झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा ने राज्य के मुख्यमंत्री से चुनाव आचार संहिता के पूर्व यथाशीघ्र शिक्षकों को एम ए सी पी का लाभ देकर शिक्षकों के साथ आर्थिक न्याय करने की मांग की है। ज्ञातव्य हो कि बिहार सरकार ने शिक्षकों के साथ न्याय करते हुए 2021 में ही अपने शिक्षकों को एम ए सी पी का लाभ दे चुकी है।
झारखंड राज्य के शिक्षकों सहित सभी राज्यकर्मियों के सेवानिवृति उम्र 60 वर्ष बढ़ाकर 62 वर्ष करने की भी मांग माननीय मुख्यमंत्री के समक्ष करते हुए झारखंड के साथ एक ही समय बने दो अन्य राज्यों छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का उदाहरण देते हुए मोर्चा के सदस्यों ने कहा कि दोनों ही राज्यों में राज्य कर्मियों की सेवानिवृति उम्र बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है और अभी पिछले दिनों मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय ने अपने राज्य में शिक्षकों की सेवानिवृति उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर विश्वविद्यालय के शिक्षकों के तर्ज़ पर 65 वर्ष किये जाने की घोषणा की गई है।
2006 से पूर्व के नियुक्त शिक्षकों को छठे वेतन आयोग की अनुशंसा के बावजूद उत्क्रमित वेतनमान से अभी तक वंचित रखा है जबकि राज्य के सचिवालय कर्मियों को 2019 में ही इसका लाभ दे दिया गया है। जिससे राज्य के शिक्षक अपने ही राज्य में ठगे से महसूस कर रहे हैं। ऐसे में राज्य में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की कल्पना कैसे कर सकते हैं जब शिक्षकों को ही न्याय नहीं मिले।
इसके साथ ही मोर्चा ने गृह जिला स्थानांतरण के मामले में पूर्व के बने सभी जटिल नियमों को शिथिल करते हुए सामूहिक गृह जिला स्थानांतरण किये जाने की मांग की है एवं शिक्षा विभाग में व्याप्त एन जी ओ के दखल से मुक्त करने की भी अपील की गई है ताकि राज्य में बेहतर शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में शिक्षकों के योगदान की अहमियत बना रह सके।
उक्त मामलों को लेकर मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी से मोर्चा के सदस्य मिलकर पूरी जानकारी दी है। शिष्टमंडल में मोर्चा के अमीन अहमद, विजय बहादुर सिंह, अरुण कुमार दास, आशुतोष कुमार, मो० फखरुद्दीन, मक़सूद जफर हादी मुख्यरूप से मौजूद थे।