स्वतंत्रता संग्रामी वीर सपूत शहीद शेख भिखारी व टिकैत उमरांव सिंह की कुर्बानियों को नही भुलाया जा सकता- अनवार अहमद अंसारी
ओरमांझी- शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा
देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले क्रांतिकारियों में ओरमांझी के दो वीर सपूत शहीद शेख भिखारी और शहीद टिकैत उमरांव की बलिदानी को रहती दुनिया तक नही भुलाई जा सकती है उक्त बातें ऑल कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह मोमिन कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष सह द छोटानागपुर रीजनल हैंडलूम कोऑपरेटिव लिमिटेड इरबा के चेयरमैन अनवर अहमद अंसारी ने कहा वहीं उन्होंने कहा कि जंगे आजादी में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले यह दोनों स्वतंत्रता सेनानी को जो मान सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाया है आज भी उनके वंशज दर दर की ठोकर खा रहे हैं शहीदों के गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है भले ही प्रत्येक साल 8 जनवरी को उनके मजारों पर राजनेता श्रद्धांजलि देते हैं और वंशजों को आश्वासन देकर चले जाते हैं लेकिन वंशजों की भला नहीं हो रहा है वंशजों को किसी की तरह का कोई रोजगार के साधन नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते वंशज आज भी अपनी रोजी-रोटी के जुगाड़ में 25 से 30 किलोमीटर दूरी रांची रामगढ़ जाकर दिहाड़ी मजदूर कर अपने परिवार का लालन पालन कर रहे हैं । वंशज के अधिकतर घर कच्चे मकान के हैं गरीबी में मुफलिसी में जिंदगी गुजर रही है भले ही दोनों गांव को नेताओं द्वारा आदर्श गांव घोषित किया जा चुका है लेकिन वंशज आज भी बीमारी परेशानी लाचारी के चक्कर में अपने जीवन यापन कर रहे हैं सरकार से अपने हक व अधिकार की गुहार लगाने के लिए दर्जनों बार पहुंच चुके हैं लेकिन कोई इनकी फरियाद सुनने वाला नहीं 8 जनवरी उनके गांव भले ही सैकड़ों लोग पहुंचेंगे और वंशज के परिवार वालों का भला करने का दिलासा देंगे के करेंगे वह करेंगे और फिर चले जाएंगे,लेकिन कुछ नही करेंगे 1 साल बाद वापस लौट कर आएंगे।