मदरसा मजहब इस्लाम का बुनियाद है: मुफ्ती राशिद
अच्छे शब्दों से नहीं, काम से मिलेगी सफलता : मुफ्ती शोएब
मदरसा दारुल-कुरआन के जलसा दस्तरबंदी में 21 हुफ्फाज को हुई दस्तार बंदी
रांची : क्या है कुरान की महानता ? मदरसा मजहब इस्लाम की बुनियाद है। दुनिया में चारों ओर नजर दौड़ाइए और कुरान की बरकत देखिए कि कोई हाफिज, कारी, मुफ्ती, आलिम भूखा नहीं सोता। मैं मदरसा दारुल-कुरान के शिक्षकों को बधाई देता हूं, उनकी कड़ी मेहनत के कारण, इक्कीस बच्चों ने आज कुरान को याद कर हाफिज बने। जब तक ये मदरसे रहेंगे, इस्लाम धर्म रहेगा। बच्चो जैसे तुम हाफिज बने हो, वैसे ही तुम आलिम बनो। हाफिज बनना आसान है, उस पर बने रहना कठिन है। उक्त बातें दारुल उलूम देवबंद के मौलाना मुफ्ती राशिद ने कही। वह गुरूवार रात को मदरसा दारूल-क़ुरान हिंदपीढ़ी रांची के बारहवें एक दिवसीय जलसा ए दसतारबंदी में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आलिम का गौरव कुरान की बरकत से पहले भी था। अब भी है और क़यामत तक रहेगा।
वहीं दर्जनों संस्थाओं के संरक्षक फखर झारखंड शेखउल-हदीस जामिया राशिद उलूम चतरा के प्रिंसिपल हजरत मौलाना मुफ्ती नजर तौहीद अल-मजहरी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कुरान की महानता, कुरान का महत्व, कुरान की उपयोगिता पर प्रकाश डाली। कहा कि पवित्र कुरान को सिर्फ घर पे रखना जरूरी नहीं, बल्कि उसको पढ़ना, अर्थ और पाठ समझना जरूरी है। कुरान हमसे क्या चाहता है? अल्लाह ने पवित्र कुरान को क्यों प्रकट किया? हमें इस को समझने की जरूरत है। जिस दिन हम इसे समझेंगे, हम सब सफल होंगे। वहीं शायर इस्लाम दिल खैराबादी जब माइक पर आए तो भीड़ ने उनके स्वागत के लिए हाथ खड़े कर दिए। सीने में मुस्लमान के हैं कुरान सलामत, कुरान की बरकत से है ईमान सलामत। मुल्क मिल्लत की बका के वास्ते इस्लाम में बच्चा बच्चा हाफिज कुरान होना चाहिए। वहीं, जामिया रशीदुल उलूम चतरा शिक्षक हजरत मौलाना मुफ्ती शोएब आलम कासमी ने अपने संबोधन में कहा कि पवित्र कुरान एक महान किताब है। ये किताब एक क्रांतिकारी किताब है। जिसने भी इस किताब को अपनाया कामियाब हो गया। कामयाबी काम से मिलेगी, ना कि हुस्न कलाम से मिलेगी। वहीं मदरसा मजहरुल उलूम ईरबा के नाजिम और बड़ी मस्जिद के खतीब हजरत मौलाना मुफ्ती मुहम्मद इमरान नदवी ने अपने भाषण में कहा कि यह पवित्र कुरान का उत्सव है। यदि लोग मोक्ष और विकास चाहते हैं, तो पवित्र कुरान का दामन पकड़ें।