मदरसा इस्लामिया में क़ुरआन ख्वानी व सामूहिक दुआ का आयोजन
जयंती पर याद किये गए मौलाना अबुल कलाम आजाद
राँची: स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री और मदरसा इस्लामिया राँची के संस्थापक मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर सोमवार को मदरसा इस्लामिया राँची में कुरान ख्वानी का आयोजन किया गया। जिसमें मदरसा के बच्चों ,शिक्षकों एवं अंजुमन इस्लामिया राँची के पदाधिकारी व सदस्य शामिल हुए। तिलावत ए कलाम पाक के उपरांत मदरसा के प्राचार्य मौलाना शुजाउल हक़ ने मौलाना आजाद के कार्यों पर प्रकाश डाला। कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद का राँची से विशेष संबंध था। नज़रबंदी के दौरान 1916 में जब वह राँची आए तो यहाँ के लोगों में शिक्षा के प्रति पिछड़ेपन को दूर करने के लिए मदरसा इस्लामिया रांची की बुनियाद डाली। इस मदरसे की तामीर में मौलाना ने अपना सबकुछ लगा दिया। गैर मुस्लिमों ने भी मदरसा के भवन के निर्माण में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। मौलाना शुजाउल हक़ ने कहा कि मदरसा इस्लामिया को विकास की राह पर ले जाना ही मौलाना आजाद को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मदरसा इस्लामिया के सचिव डॉ तारिक हुसैन ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद का सपना था कि हमारे कौम के बच्चे दीनी तालीम के साथ दुनयावी तालीम भी हासिल करें। इसी मकसद के साथ उन्होंने मदरसा की स्थापना की। उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि रुकावटों से घबराएं नहीं,शिक्षा को अपना हथ्यार बनायें।
सभा को संबोधित करते हुए मदरसा इस्लामिया के कन्वेनर साजिद उमर ने कहा कि मौलाना आजाद हिन्दू-मुस्लिम एकता की हमेशा वकालत करते थे। स्वतंत्र भारत के जब वह पहले शिक्षा मंत्री बने तो उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अन्य तकीनीकी,अनुसंधानिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं का गठन किया।
कार्यक्रम में राज्य वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य अबरार अहमद विशेष रूप से शामिल हुए। कार्यक्रम में अंजुमन इस्लामिया के उपाध्यक्ष नौशाद आलम,सदस्य मो नजीब, मो लतीफ आलम,शहज़ाद बबलू,नूर आलम,शाहीन अहमद,मदरसा के शिक्षक आलमगीर आलम, जियाउल आसिफ, कफील अहमद, मो इमरान, हाफिज जावेद सहित अन्य उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में मौलाना शुजाउल हक़ ने सामुहिक दुआ कराई।