पसमांदा मुस्लिम यूनाइटेड काउंसिल भारत ने आर्टिकल 341 एवं 342 पर लगे संविधान वोरोधी धार्मिक प्रतिबन्ध को समाप्त करने की मांग की
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प्रधानमंत्री 1956,1990 की तरह नया अध्यादेश लाकर 341,42 को समाप्त कर रिजर्वेशन देने का काम करे
रांची: पसमांदा मुस्लिम यूनाइटेड काउंसिल भारत का एक प्रेस आज 13 सितंबर 2023 को अंजुमन मुसाफिर खाना में हुआ। कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए काउंसिल के अध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल्लाह अज़हर कासमी ने भारत सरकार और राज्य सरकार 10 बिंदुओं पर मांग को रखी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम एवं ईसाई दलितों पर धर्म आधारित पछपात को खत्म किया जाए। पसमांदा पिछड़ों को उनके आबादी के आधार पर आरक्षण दिया जाए। रंगनाथ मिश्रा और सच्चर कमेटी की सिफारिश को लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि मुसलमान में अंसारी, क्लाल, हलालखोर, धोबी जैसी जाति को शेड्यूल जाति का दर्जा दिया जाए। देश के प्रधानमंत्री से उम्मीद हैं की 1956 और 1990 की तरह नए अध्यादेश लाकर 341, 42 को खत्म करते हुए रिजर्वेशन देने का काम करेंगे। इस समय देश में सबसे ज्यादा आहत पसमांदा मुस्लिम समाज है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में शकील अहमद, शोएब अंसारी, हाजी जाकिर, इम्तियाज अहमद, जिब्राइल अंसारी, मौलाना तौफीक कादरी, सोहेल अख्तर गब्बर, कारी जान मोहम्मद मुस्तफी, जबीउल्लाह अंसारी, और मास्टर सिद्दीक अंसारी आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।
मुख्य मांग निम्नलिखत हैं –
- अनुच्छेद 341 एवं 342 पर लगे संविधान विरोधी धार्मिक प्रतिबन्ध को समाप्त कर मुस्लिम व इसाई दलितों के साथ हो रहे धर्म आधारित पक्षपात को समाप्त किये जाने के लिए आपके माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदय को पत्र लिखने की कृपा की जाये।
- माॅब लिंचिंग पर सख्त से सख्त कानून बनाया जाये।
- रेपिस्टों को फांसी की सजा हो ।
- जातीय जनगणना, जनगणना अधिनियम 1948 के अंतर्गत कराया जाय।
- शिड्यूल जिलो के एकल पदों मुखिया / प्रमुख / जिला परिषद् का संविधान के आधार पर अनारक्षित कर डी-नोटिफाईड किया जाये।
- शिड्यूल जिलों के नियुक्तियों में पसमांदा पिछड़ों का आरक्षण लगभग शुन्य कर दिया गया है. उन जिलों में जितनी आबादी पसमांदा पिछड़ों की है उतनी आरक्षण दी जाए।
- रंगनाथ मिश्र आयोग और सच्चर कमिटी की सिफारिश को लागू किया जाये ।
- मुसलमानों में अंसारी, हलालखोर, धोबी जैसी कुई ऐसी जातियां हैं जिन्हें शिड्यूल कास्ट का दर्ज मिलना चाहिए।
- राष्ट्रीय एवं राज्य सियासी पार्टीयों ने पसमांदा मुसलमानों पर शोषण किया है। सच्चर कमिटी की रिपोर्ट सियासी पार्टीयों के चेहरे से नेकाब उठाते हुए बताया देश में पसमांदा मुसलमान राजनितीक, सैक्षनिक, आर्थिक एवं समाजिक ऐतबार से दलितों से भी ज्यादा हालात खराब एवं दयनीय है। रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारीश को लागु करने से यु.पी.ए. एवं एन.डी.ए. सरकारें बचती रही हैं यानी मुसलमानों का वोट इन्हें चाहीए। इनका भविष्य उज्जवल हो और देश के मैनस्ट्रीम से जुड़ जाएं। इस संबंध में उनका कोई दिचस्पी नहीं है।
- झारखण्ड एवं बिहार सेकुलर के नाम पर अपनी दुकान चलाने वाली सरकार नें पसमांदा मुसलमानों को सिरे से खारीज कर दिया। बिहार के नितीश सरकार मंे पसमांदा को कोई उचित स्थान नहीं दिया गया। झारखण्ड सरकार भी पंसमांदा मुसलमानों से कोई दिलचस्पि नहीं रखा। आॅल इंडिया काॅग्रेस पार्टी राष्ट्रीय कार्य समिती में एक भी पसमांदा मुसलमान को जगह नहीं दिया। झारखण्ड प्रदेश काॅग्रेस पार्टी के अध्यक्ष ने ये बयान दे दिया कि डुमरी उप चुनाव में एक लाख हिन्दुओं ने महागठबंधन प्रत्याशी को वोट दिया है। प्रदेश अध्यक्ष का ये घिनौना एवं घटिया बयान ने मुसलमानों को सस्पेंस में डाल दिया। युनाईटेड काॅउंसिल का प्रदेश अध्यक्ष से ये कहना है कि डुमरी के 85 हजार मुस्लिम मतदाताओं ने किस प्रत्याशी को वोट किया है। गोया काॅग्रेस पार्टी अपनी पुरानी आदत से मजबुर है कि देश में हिन्दु और मुसलमान कर के ही चुनाव जीता जा सकता है। वक्त रहते सियासी पार्टीयों ने पसमांदा मुसलमानों को उचित स्थानों पर उनकी आबादी के अनुपात भागीदारी सुनिश्चित करने का काम नहीं किया तो युनाईटेड काॅउंसिल पंसमांदा मुसलमानों को मौजुदा राजनितीक षड़यंत्र से आगाह कराने के लिए भारत के हर राज्य का बहुत जल्द संकल्प एवं जागरूक यात्रा का प्ररंभ करेगा।
भवदीय
मुफ्ती अब्दुल्लाह अजहर क़ासमी
राष्ट्रीय अध्यक्ष
9572160137
पसमांदा मुस्लिम युनाईटेड काॅउंसिल भारत