हिमाचल प्रदेश के मत्स्य निदेशालय के पदाधिकारी तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे रांची
*झारखंड के मत्स्य कृषकों को आधुनिकतम व वैज्ञानिक तरीके से मत्स्य पालन करने की दी सलाह
रांची। हिमाचल प्रदेश के निदेशक (मत्स्य) विवेक चंदेल (भाप्रसे) तथा विवेक शर्मा, सहायक मत्स्य निदेशक, ऊना झारखंड दौरे पर बुधवार को रांची पहुंचे। झारखंड में संचालित कल्याणकारी योजनाओं, विशेष रूप से केज कल्चर, बायोफ्लॉक कल्चर, आरएएस कल्चर, रंगीन मछलीपालन, मोती पालन आदि के संबंध में जानकारी प्राप्त करने हेतु तीन दिनों का झारखंड भ्रमण कार्यक्रम है।
इस क्रम में सबसे पहले बुधवार को अधिकारियों ने धुर्वा के शालीमार स्थित मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र के साथ-साथ फिश फीड मील का भ्रमण किया।
इस मौके पर किसानों को संबोधित करते हुए निदेशक मत्स्य ने कहा कि मछली पालन स्वरोजगार का एक उत्तम साधन है। हिमाचल के भौगोलिक बनावट के कारण, तीन प्रकार से मत्स्य पालन किया जा रहा है। हिमाचल के ऊपरी पहाड़ी क्षेत्रों में टा्उट मछली का पालन, बीच के पहाड़ी क्षेत्रों में महाशीर मछली का पालन तथा तलहटी क्षेत्रों में भारतीय मुख्य कार्प का पालन किया जा रहा है। किसानों को आगे बढ़कर वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन करने का आह्वान किया। उसके बाद पीपरटोली, अरगोड़ा में रंगीन मछली पालन के समूह द्वारा रेखा टोप्पो के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश के निदेशक मत्स्य विवेक चंदेल, विवेक शर्मा, सहायक मत्स्य निदेशक जिला-उना, जयंत रंजन, जिला मत्स्य पदाधिकारी रांची, प्रशांत कुमार दीपक का स्वागत किया गया। इसके बाद नगड़ी स्थित आयूष खेमका के मत्स्य प्रक्षेत्र का भ्रमण किया गया जहां आर ए एस और बायोफ्लौक पाउंड में मछलीपालन को देख कर काफी प्रभावित हुए। इसके बाद किंग फिशरीज ग्रुप के संचालक निशांत कुमार के यहां बायोफ्लाक टैंक में पाबदा, जपानी कोय मछली, तिलापिया मछलीपालन को देखा। अंत में कांके डैम के आरएफएफ में मछली पालन का अवलोकन किया। अतिथियों का स्वागत डाॅ. एचएन द्विवेदी, निदेशक (मत्स्य) झारखंड रांची तथा शंभू प्रसाद यादव, उप मत्स्य निदेशक-सह-प्रबंध निदेशक झास्कोफिश द्वारा किया गया।