Saturday, July 27, 2024
Jharkhand News

ऐ लोगो अपने घर की औरतों को महिला मंडल और सूदखोरी से दूर रखो : मुफ्ती अनवर

 

क्या क्या हलाल चीज है और क्या क्या हराम है: दिल खैराबादी

 

अपने बच्चों को हर तरह से शिक्षित करें: मौलाना चतुर्वेदी

मदरसा अज़ीज़िया कुंदी में जलसा ए दस्तार बंदी का आयोजन

 

 रांची: मदरसा जामिया अजीजिया कुंदी इटकी रांची का चौथा भव्य दीक्षांत समारोह(जलसा दस्तार बंदी) रात्रि 21 मई 2023 को आयोजित किया गया। जिसमें मदरसा के स्नातकों हुफ्फाज को प्रमाण पत्र, पवित्र कुरान, बैग व अन्य सामान देकर, पगड़ी बांधकर सम्मानित किया गया। बैठक में बतौर मुख्य अतिथि जामिया मरकजुल उलूम के हजरत मौलाना मुहम्मद अब्दुल्लाह कासमी ने अपने संबोधन में कहा कि धार्मिक स्कूल इस्लाम के किले हैं। मदरसों और उलेमा से मोहब्बत करो। वहीं, प्रमुख वक्ता इमारत शरिया रांची के काजी ए शरीयत सह झारखंड राज्य हज कमेटी के सदस्य हजरत मौलाना मुफ्ती अनवर कासमी ने अपने संबोधन में कहा की ‘ऐ लोगों, अपने घर की महिलाओं को दूर रखो। महिला मंडल और सूदखोरी से अपनी औरतों को बचाओ।

 हमारा भविष्य हमारे युवा नशे की ओर जा रहे है इसको सोचना होगा।  केवल शराब ही हराम नहीं है, बल्कि नशा पैदा करने वाली हर चीज हराम है। शादी टूटने की वजह महिलाओं का सूद और महिला मंडल की लत है। वहीं फाजिल नवजवान हजरत मौलाना मुफ्ती अब्दुल्लाह सालिम कमर चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा, ऐ लोगों अपने घरों को धार्मिक माहौल बनाओ। अपने बच्चों को हर तरह से प्रशिक्षित करो। धर्म परिवर्तन करना कराना गलत है। हर अभिभावक को अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। 

वहीं, रमजान कॉलोनी मस्जिद के मौलाना एकरम-उल-हक आइनी ने अपने संबोधन में कहा कि अल्लाह ने पवित्र कुरान में वादा किया है कि अगर तुम शुक्र अदा करेंगे तो हम और देंगे। इससे पहले मदरसे व आसपास के अन्य विद्वानों ने भी संबोधित किया। 19 हुफ्फाज को दस्तार  बंधी गई। उनको पवित्र कुरान सनद पेश की गई। अंत में शैखुल हदीस की दुआ हुई।  

बैठक की शुरुआत मदरसा आलिया कांके के शिक्षक हजरत मौलाना कारी सोहेब अहमद के तिलावत कुरआन पाक से हुआ। शायर इस्लाम शाबान दिल खैराबादी द्वारा नात रसूल पेश की गई।   स्वागत भाषण मदरसा के प्रिंसिपल हजरत मौलाना जुबैर अशरफ रहीमी ने पढ़ा। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए बहुत खुशी का दिन है कि आज मदरसे में 19 हुफ्फाज के सरो पर पगड़ी बंधी गई। इस मदरसे की स्थापना 2006 में हुई थी। इस मदरसे से अब तक 41 हुफ्फाज निकल चुके हैं।  हम सभी मेहमानों का स्वागत करते हैं। साथ ही हम नवजवान समिति, अंजुमन इस्लामिया कुंदी, इस्लाह उल इराकीन समिति इटकी, जमीयत मोमिनीन इटकी और आसपास के सभी अंजुमनों को धन्यवाद देते हैं।

 जलसे के नाजिम हजरत मौलाना मुनीरुद्दीन ने कहा की शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला।  वहीं जब शायर इस्लाम युवाओं के दिलों की धड़कन शाबान दिल खैराबादी जब मंच पर पहुंचे तो लोगों ने नारे तकबीर के साथ स्वागत किया। जब दिल खैराबादी ने पढ़ा कि, नाफिज हुआ निज़ाम, नबी को पता चला।क्या क्या हलाल चीज है और क्या क्या हराम है। तो भीड़ झूम उठा।

 चाँद पर जाने वाले थे, जन्नत जाना भूल गए, शोहरत की चाह में माँ के पैर दबाना भूल गए। हम मजलूम मुस्लमान पर, अल्लाह की होगी कैसी मदद। जान बचाने की खातिर, ईमान बचाना भूल गए।  हाफ़िज़ का बे सबब नहीं आला मकाम है। सीने में हफीजो के खुदा का कलाम है।   इस मौके पर मदरसा अनवार सहाबा के हजरत कारी खुर्शीद, मुहम्मद जावेद, नजमुल हसन, कारी अब्दुल मन्नान यूपी, मौलाना मंजूर कासमी इटकी, मौलाना कमालुद्दीन, मौलाना अब्दुल रशीद, मौलाना कलीमुद्दीन, मौलाना शफीक समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे।

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