रांची: इमामे हुसैन का जिक्र इसलिए करें कि कम से कम जमाने से यह कह सके कि हम हुसैनी हैं। वो हुसैन जिसने कर्बला में अपने नाना के दीन(मजहब इस्लाम) को बचाने के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। वो हुसैन जिसने अपनी जान देकर नमाज को बचाया। वो हुसैन जिसने अपनी जान देकर दीन इस्लाम को बचाया। वो हुसैन जिसने अपने 72 साथियों को लेकर हजारों लश्कर पर भारी पड़ गया। वो हुसैन जिसने अल्लाह की रजा के लिए सजदे की हालत में शहीद हो गए।
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