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इरबा के हाजी इजराफिल लाखों दिलों में करते हैं राज

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झारखण्ड सहित अन्य राज्यों के पांच हजार से अधिक लोगों के जनाजे में हो चुकें हैं शामिल

ओरमांझी : राजधानी रांची के इरबा के रहने वाले 102 वर्षीय नूरानी चहरे वाला हाजी इसराफिल अंसारी लाखों दिलों में राज करते हैं,हाजी इसराफील अंसारी के जज्बे और नेक कार्यों के चलते उन्हें झारखंड ही नहीं उन राज्यों के लोग भी पहचानते हैं,और उन्हें इज्जत करते हैं,झारखंड के किसी कोने में अगर उन्हें किसी मुस्लिम समुदाय की मौत की खबर की आहट पहुंचती है तो उनके पास पैसा रहे चाहे ना रहे वह घर से निकल पड़ते हैं, और जनाजा से पहले मैयत के घर पहुंच जाते हैं, और मर्द का मौत हो और गुशूल नहीं हुआ हो तो वह खुद गुशूल देते हैं, उन्हें मैयत के आदाब खूब जानते हैं,इस संबंध में उन से पुछने पर उन्होंने बताया कि कम उम्र से ही मैं लोगों के जनाजे में शामिल होते रहा हूँ,मैंने अपने बढ़ो से सुना था की मैयत के जनाजे में शामिल होने से एक पहाड़ के बराबर सवाब मिलता हैं तब से मैं झारखंड सहित अन्य राज्यों में भी जाकर लोगों के जनाजे में शामिल रहता हुँ,पता नहीं कितनों को मैंने कब्र में उतारा,न जाने कितने मैयत को गुशूल दिया पता नहीं, लेकिन मालूम हैं की 5000 से अधिक लोगों के जनाजे में मैं जरूर शामिल रहाहूँगा, जहां कहीं भी मैयत होता है उसमें आप इस महान शख्स को देख लेंगे, आवाज बुलंद होने के कारण वह मैयत का ऐलान भी करते हैं,भले ही आज माइक आ गया जिसके कारण वह ऐलान नहीं करते, लेकिन एक समय था जब वह हर जनाजे और मैयत में ऐलान किया करते थे, हाजी इसराफील शुरू से ही काफी परहेजदार व्यक्ति हैं, वह कभी भी फजर की नमाज कजा नहीं करते, वह बताते हैं कि मैं 1922 में पैदा हुआ और 1947 में मेरी शादी कांके प्रखंड के महनपुर में हुआ,मेरा एक बेटा और 6 बेटी है, मैंने खेती बारी कर पैसा जुटा कर 2010 में अल्लाह के पाक घर मक्का मदीना पहुंच कर हज का फरीजा अदा किया, मैं कहीं भी जाता हूं लोग हमें काफी इज्जत करते हैं मैं मैं काम सिर्फ अल्लाह की खुशी के लिए करता हूं l

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