झारखंड के अल्पसंख्यकों को ठगे नही, सरकार आपने चुनावी घोषणा पत्र को अविलंब लागू करें
झारखंड के अल्पसंख्यकों पर भी आई हेमंत सरकार एवं महागठबंधन अल्पसंख्यकों को ठगे नही आपने चुनावी घोषणा पत्र को अविलंब लागू करें
आज अल्पसंख्यकों के संवैधानिक, व्यवहारिक,कल्याणकारी मुद्दें पर झारखंड के सामाजिक-धर्मगुरुओं-शैक्षणिक एवं बुध्दिजीवियों के द्वारा अंजुमन मोसाफिर खाना,मेन रोड़, रांची में प्रेस वार्ता कर पहली बार सामूहिक तौर पर हेमंत सरकार से अपील की गई.
प्रेस वार्ता को झारखंड बार काउंसिल के अधिवक्ता ए.के.रशीदी,जमीतुल उलेमा-ए- हिंद,झारखंड के महासचिव सह रांची के शहर ईदेन मौलाना डॉ असगर मिस्बाही, अंजुमन इस्लामिया रांची के लीगल सेल के संयोजक अधिवक्ता अज़हर खान,शहर काज़ी रांची सह ख़तीब तस्लीम मस्ज़िद मौलाना कारी जान मोहम्मद मुस्ताफ़ी, शहर काज़ी रांची कारी जान मोहम्मद डोरंडा, शिक्षाविद,शायर,लेखक एवं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सरवर साज़िद,शिक्षाविद, शायर एवं झारखंड आंदोलनकारी प्रोफेसर अनवर इरज, अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर कार्यरत आमिया झारखंड के अध्यक्ष एस.अली,अल्पसंख्यकों एवं मानवधिकार पर कार्यरत नदीम खान, उर्दू पर कार्यरत अंजुमन फ़रोग़-ए-उर्दू झारखंड के अध्यक्ष मो इक़बाल,जमीतुल मोमिनीन चौरासी झारखंड के महासचिव मो जुनैद एवं पत्रकार दानिश अयाज़ ने संबोधित किया.
प्रेस वार्ता में वक्ताओं ने कहा कि हेमंत सरकार एवं महागठबंधन सरकार को 4 साल होने को है,पर अभी तक हेमंत सरकार अल्पसंख्यकों के साथ छुआछूत जैसा व्यवहार कर रही है,तभी तो अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों तक को लागू नही किया जिसमें अल्पसंख्यक आयोग,वक़्फ़ बोर्ड,वित्त निगम,उर्दू एकेडमी, मदरसा बोर्ड शामिल है,जिसे योग्य व्यक्तियों के साथ अविलंब गठन किया जाए,हज़ कमेटी को बनाया भी तो भी झारखंड के इतिहास में पहली बार हाजियों को हज़ पर काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा अभी हाजियों का झारखंड आना बाकि ही है,
झारखंड में हुए मोब लिंचिंग के पीड़ितों को आज तक इंसाफ़, मुआवजा और नौकरी नही मिली,मोबलिंचिंग विरोधी क़ानून को झारखंड विधानसभा से पास के बावजूद कुछ त्रुटि माननीय विधायक ने आपत्ति दर्ज कर ठीक कर लेने को कहा था, मगर फिर भी हेमंत सरकार ने माननीय राजपाल झारखंड को भेजा,परंतु माननीय राजपाल ने इस बिल को वापस कर दिया था,जिसे वापस होना ही था वही हुआ भी,मगर हेमंत सरकार इस बिल एक साल से ज्यादा होने के बावजूद लटकाई हुई है,जिससे अब जिम्मेदार और ईमानदार पहल कर क़ानून बना देना चाहिए.
10 जून 2022 की रांची में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना में दो की मृत्यु,9 घायल एवं 22 एफआईआर, चार थानों में 10 हज़ार से ऊपर पर मुकदमा,मगर मृतक,पीड़ित की तरफ से एफआईआर दर्ज नही किया गया, गोली मारने वाले,गोली चलाने का आदेश देने वाले,इस दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय घटना पर आईबी इनपुट होने के बावजूद भी यह घटना हो जाती है,इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर अनगिनत जांच बैठाई गई,एक तो हाई लेवल जांच कमेटी बनी मगर उन सभी की जांच भी हुई,इन सभी अनगिनत जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए.
हेमंत सरकार कभी उर्दू भाषा,कभी उर्दू स्कूलों के साप्ताहिक अवकाश पर,कभी उर्दू स्कूलों को उर्दू नाम लिखने पर,कभी संथालपरगना के मदरसा में बांग्लादेशी के नाम पर नोटिफिकेशन जारी करती,कभी अल्पसंख्यक कॉलेज में गवर्निंग बॉडी में सरकारी हस्तक्षेप,कभी झारखंड विधानसभा में नामज़गाह के नाम पर फ़ज़ीहत कराते रहती,हेमंत सरकार में सांप्रदायिक तनाव पर ठोस लगाम भी नही लगाया गया है,त्योहारों में भी सांप्रदायिक तनाव पैदा कर दिया जाता है, एनआरआई-सीएए विरोध में कई जगहों पर निर्दोषों को फसा दिया गया है,जिस पर उच्य स्तरीय जांच कर निष्पादित किया जाए.सांप्रदायिक-फसादी यूसीसी एवं नागरिकता क़ानून काले कानून पर हस्तक्षेप करें.
महागठबंधन की हेमंत सरकार से अपील है कि अल्पसंख्यकों के साथ किए वादें जो आपने चुनावी घोषणा पत्र में भी किया है उसे अब अविलंब लागू कीजिए,मुस्लिम एवं अल्पसंख्यकों के साथ भी आपकी सरकार आई थी और आप ही भुला गए,अतः महागठबंधन की हेमंत सरकार अल्पसंख्यकों के सभी मामलें को अविलंब निष्पादित करें.
मुस्लिम समाज एवं अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधिमंडल आपसे मिलना दिल्ली दूर जैसी कहावत हो चुकी है आपसे अनुरोध है कि इनसे मिला भी कीजिए,कई जगहों पर रघुवर दास की सरकार को याद किया जाता है कि वह अल्पसंख्यकों के साथ सरकारी बैठक कर उनकी स्थिति पर चर्चा किया,हज़ हॉउस बनवा दिया,दंगे फ़साद के ख़िलाफ़ रांची की सड़कों पर खड़े हो गए थे,आपसे अनुरोध है आप भी गंभीर पहल कीजिए जिससे सभ्य-सज़ग समाज एवं सभ्य झारखंड राज्यवासियों को भी एहसास हो सके .
—–सामाजिक-धर्मगुरुओं-शैक्षणिक एवं बुध्दिजीवियों द्वारा—-
..नदीम खान द्वारा जारी…