जिला स्तरीय कार्यशाला सह मत्स्य गोष्ठी आयोजित
मत्स्य पालन से आर्थिक समृद्धि बढ़ाने की अनोखी पहल
प्रत्येक पंचायत में ब्रांड एम्बेसडर बनाया जाय : डॉ.एचएन द्विवेदी
रांची/खूंटी। जिला मत्स्य कार्यालय, खूंटी के परिसर में सोमवार को जिला स्तरीय कार्यशाला-सह-मत्स्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. एचएन द्विवेदी (निदेशक मत्स्य, झारखंड) द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। विदित हो कि झारखंड सरकार के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की के दिशा-निर्देश के आलोक में प्रत्येक जिला में मत्स्य कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में निदेशक, मत्स्य , डॉ.द्विवेदी ने कहा कि अब समय आ गया है कि हमलोगों को परंपरागत तरीके छोड़ कर वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन करना है। हालांकि खूंटी जिले में सरकारी जलकरों की संख्या कम है, परन्तु यहां के किसानों को विभागीय योजना से अधिक से अधिक संख्या में तालाब का निर्माण करना है तथा खूंटी जिला में योजनाओं के विकास को और गति देना है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह निक्की प्रधान ने खूंटी जिले का हॉकी के क्षेत्र में नाम रौशन किया है, उसी तरह मछली उत्पादन में खूंटी जिले को अव्वल बनाना है।
जिले में 23 छोटे-बड़े जलाशय हैं। जिसमें मछली पालन की अपार संभावनाएं हैं। इन जलाशयों का कुल क्षेत्रफल पांच हजार हेक्टेयर है। जिले में करीब 4500 मत्स्य पालक हैं। जिनका नेशनल फिशरीज डिजीटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) पर निबंधन आवश्यक है। निबंधन के उपरांत ही मत्स्य विभाग की कल्याणकारी योजनाओं का सीधा लाभ प्राप्त हो सकेगा तथा किसान सरकार से सीधे तौर पर जुड़ पायेंगे। इसके लिए निकटतम प्रज्ञा केन्द्र अथवा सीएससी सेंटर में जाकर निबंधन करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विभागीय सचिव अबु बकर सिद्दीख पी. (भाप्रसे) के मार्ग दर्शन में खूंटी जिला में मत्स्य कल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। जिसके कारण जिले का कुल मत्स्य उत्पादन विगत वर्ष में 5700 मिट्रिक टन हुआ है। जिले में कुल 100 से ऊपर केज विभिन्न जलाशयों में स्थापित किये गये। जिसमें मत्स्य उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।
मौके पर अमरेन्द्र कुमार, उप मत्स्य निदेशक द्वारा बताया गया कि कार्यशाला का उद्देश्य मत्स्य बीज उत्पादन का फीड बैंक प्राप्त करना है। साथ ही
इस कार्यशाला में अधिक से अधिक लोगों को एनएफडीपी, तथा केसीसी में निबंधन कराना है। अनुदान पर फीड बेस्ड फिशरीज योजना का लाभ लेना है।
इस अवसर पर शिवानी कुमारी, जिला विकास प्रबंधक (डीडीएम) नाबार्ड द्वारा बताया गया कि कृषि तथा उससे संबंधित क्षेत्र में कार्यशील पूँजी के लिए फिश फार्म प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन बनाकर लोन प्राप्त किया जा सकता है। किसानों को इसका लाभ लेने हेतु प्रेरित किया गया। कार्यक्रम को रेवती हांसदा, सहायक मत्स्य निदेशक पदाधिकारी ने बताया कि सभी किसानों को अपने जिले के अबंदोबस्त तालाबों की बंदोबस्ती प्राप्त करते हुए मछली पालन करने का सुझाव दिया गया।
कार्यक्रम को संजय कुमार, (जेएसएलएसपी) की जिला प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर ने बताया कि जेएसएलएसपी मछली पालन के साथ-साथ कृषि की अन्य गतिविधियों में भी कार्य कर कर रहा है।
कार्यक्रम का संचालन मुख्य अनुदेशक मत्स्य किसान प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन जिला मत्स्य पदाधिकारी, खूंटी द्वारा गया।
कार्यक्रम में विशाल परिधिया, ग्राम जरिया, कर्रा अंज, कुमारी, तोरपा मत्स्य बीज उत्पादक गायश्री कुमारी, ग्राम-गुटजोरा, रंगीन मछली पालक, लील मोहन बड़ाईक, ग्राम अलौंदी, मत्स्य बीज उत्पादक, अनिशा संगा, ग्राम डुमरगड़ी, प्रखण्ड कर्य केज मछली पालक, प्रेमानन्द मछुवा ग्राम-सिन्दरी, प्रचण्ड अड़की ने अपने-अपने विचार साझा किये।