Saturday, October 5, 2024
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शिक्षा से वंचित क़ौमें एखलाक़ी पस्ती के शिकार होते हैं: झारखण्ड अंजुमन

चाईबासा: झारखण्ड अंजुमन की पाँचवी बैठक चाईबासा मेन रोड स्थित उर्दू लाइब्रेरी, अंजुमन इस्लामिया के सभागार में आयोजित की गई। इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता चाईबासा अंजुमन के महासचिव फैयाज़ खान ने की, जबकि मंच संचालन चक्रधरपुर प्रभात ख़बर के वरिष्ठ पत्रकार सीन अहमद ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत हाफ़िज़ नियाज़ ने पवित्र क़ुरान की तिलावत से की, और झारखण्ड के विभिन्न इलाक़ों से आये हुए प्रतिनिधियों का स्वागत चक्रधरपुर के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता बैरम खान और वोट ऑफ थैंक्स दानिश रज़ा ने किया।


अपने अध्यक्षीय भाषण में चाईबासा अंजुमन के महासचिव फैयाज़ खान ने कहा कि क़ाबिले मुबारकबाद हैं आपलोग जो तमामतर मशरूफियात के बावजूद चाईबासा अंजुमन के आवाज़ पर लब्बैक कहा और वे लोग भी मुबारकबाद के मुस्तहिक़ है वे लोग जिन्होंने अपनी आला सोच पर झारखण्ड अंजुमन की बुनियाद रखी जो मुत्तहिदा प्लेटफॉर्म है। तंजीमें बनती है बिगड़ती भी है लेकिन काम करने वाले महदूद हैं जो किसी बैनर व तंज़ीम के मोहताज़ नही है। झारखण्ड अंजुमन की बुनियाद मरकज़ियत है जो बड़ी बात है, अब आवाम की जिम्मेदारी है कि इसे मजबूती दे ताकि हम सब मिलकर इंसानियत के लिए मिलजुलकर काम कर सकें क्योंकि चंद लोगों से फ़लाही कामों को अंजाम देना संभव नही है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे बीच अनेकों बुराइयों ने दस्तक दे दी है, हम अल्लाह के क़ुरान व नबी के सुन्नतों को छोड़ रखा है इसलिए रूसवाई हमारी मुक़द्दर बन चुकी है। हमारे मामले पड़ोसियों से अच्छे नही है, विरासत के तक़सीम के मामले हैं,सफाई ईमान का हिस्सा है लेकिन हमारे मुहल्लों की पहचान गंदगी से होने लगी है, हमारे बच्चें अपने बचपन व जवानी नशा की लानत में झोंक दिए हैं। हमारे क़ायद आक़ा मदनी सल्ल० ने जीने का मुक़म्मल आलमी तरीक़ा दिया है, जरूरत है अमल करने की तब ही क़ामयाबी यक़ीनी है।

   माही व साझा मंच के संयोजक इबरार अहमद ने विभिन्न क्षेत्रों से आये हुए मेहमानों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में मुसलमानों को विशेष रूप से शिक्षा, सम्मान और सद्भावना पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह झारखण्ड अंजुमन की राज्य में पाँचवी बैठक है, जो यह दर्शाती है कि हम समाज और कौम की तरक्की के लिए गंभीर हैं। हमारे समाज में बढ़ती अराजकता और अत्याचार, विशेष रूप से मॉब लिंचिंग जैसी अमानवीय घटनाएं, हमारे सामूहिक अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा हैं। 
   आज राजनीति से प्रेरित घुसपैठिए का मामला  उठाकर मुसलमानों को निशाने में लिया जा रहा है जबकि ऐसा कोई भी मामला झारखण्ड स्तर पर संज्ञान में नही है ये फ़र्ज़ी मामला चुनाव के मद्देनजर उठाया जा रहा है जो सही नही है। मॉब लिंचिंग, जिसे अब हम रोजमर्रा की हकीकत के रूप में देखते हैं, न सिर्फ इंसानियत की हत्या है बल्कि यह उन मानवीय मूल्यों को भी मार देती है, जिन पर हमारा समाज टिका हुआ है। उन्होंने कहा कि जब एक निर्दोष व्यक्ति भीड़ की हिंसा का शिकार होता है, तो सिर्फ उसका जीवन ही नहीं छिनता, बल्कि उसकी पूरी पहचान, सपने और परिवार का भविष्य अंधकार में डूब जाता है। हमें यह समझना होगा कि इस तरह की घटनाएं न केवल इंसानियत के खिलाफ हैं, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भय और असुरक्षा का माहौल भी पैदा करती हैं। इस अराजकता से निपटने का एकमात्र तरीका शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से समाज को सशक्त बनाना है।
      इबरार अहमद ने जोर देकर कहा कि शिक्षा से वंचित समाज में ऐसी घटनाओं के प्रति संवेदनशीलता कम हो जाती है। हमें उन बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए जो ड्रॉपआउट हो गए हैं और उन्हें दोबारा शिक्षा के मुख्यधारा में वापस लाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि वे नशाखोरी और आपराधिक गतिविधियों की ओर आकर्षित न हों। यह समाज की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे वातावरण का निर्माण करे जहां शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए और पुस्तकालय, कोचिंग सेंटर, अध्ययन कक्ष जैसी सुविधाएं जिला स्तर पर उपलब्ध हों। 

उन्होंने यह भी कहा कि समाज में शिक्षा और चरित्र निर्माण को बढ़ावा देने के लिए हमें धार्मिक स्थलों जैसे मस्जिदों और ईदगाहों का भी उपयोग करने से नहीं कतराना चाहिए। मॉब लिंचिंग की विभीषिका को समाप्त करने के लिए हमें अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और मजबूत नैतिकता का प्रशिक्षण देना होगा ताकि वे भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ मजबूत रुख अपना सकें और समाज में शांति और सद्भाव का वातावरण बनाए रख सकें।


झारखण्ड अंजुमन के संयोजक जुनैद अनवर ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य शिक्षा, सम्मान और सद्भावना को सशक्त करना है, क्योंकि इन्हीं मूल्यों पर एक सभ्य और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण होता है। उन्होंने समाज में व्याप्त मसलकी, बिरादरीवाद, सम्प्रदायवाद और क्षेत्रीयता को इंसानियत की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा बताया, जो न सिर्फ हमें कमजोर करती हैं बल्कि हमारी आत्मा को भी चोट पहुँचाती हैं। इन बुराइयों से ऊपर उठकर एक ऐसा समाज बनाना होगा जो हर इंसान की गरिमा का सम्मान करता हो।
उन्होंने मॉब लिंचिंग जैसी अमानवीय घटनाओं की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, बल्कि इंसानियत का गला घोंटने वाला कृत्य है। जब भीड़तंत्र लोकतंत्र पर हावी होता है तो समाज मे अराजकता, भय व अन्याय घर कर लेता है। इस अन्याय के विरुद्ध हमारी सबसे बड़ी ढाल शिक्षा है, क्योंकि एक शिक्षित और संवेदनशील समाज ही सही और गलत के बीच फर्क समझ सकता है।
जुनैद अनवर ने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान का साधन नहीं, बल्कि यह इंसान के भीतर सहानुभूति, संवेदनशीलता और न्याय की भावना जगाती है। मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं को खत्म करने के लिए हमें शिक्षा के माध्यम से नैतिकता और सहिष्णुता को बढ़ावा देना होगा, ताकि हर व्यक्ति खुद को सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर सके। ऐसे अमानवीय अत्याचारों से लड़ने के लिए हमें एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा, और एक ऐसी पीढ़ी तैयार करनी होगी जो हर इंसान के जीवन और सम्मान को सर्वोपरि माने।
ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल के जेनरल सेक्रेटरी जमशेदपुर के रियाज़ शरीफ़ ने कहा कि झारखण्ड अंजुमन के क़याम, हमारे इकट्ठे होने का मक़सद क्या है? हमारे बीच अंजुमनें व तंजीमें बेशुमार हैं और सभी अपने कम संसाधनों के बावजूद भी फलाही कामों को गॉंव, मुहल्ले व शहर स्तर पर अंज़ाम दे रहे हैं सभी समाज के उन्नति के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन अब वक्त आ गया है कि ये सभी तंजीमें एकजुट होकर झारखण्ड अंजुमन के बैनर तले एक मजबूत मंच तैयार करें। उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं हमें बांटने और कमजोर करने के लिए हैं, लेकिन हमारा सामूहिक प्रयास तभी सार्थक होगा जब हम इनमें एकता का संदेश लेकर खड़े होंगे।

  इस बैठक में राँची से हाजी नवाब, ख़ालिद सैफुल्लाह, अज़मल हुसैन,सैय्यद सैफुल्लाह दानिश,नदीम अख़्तर, मोहम्मद सलाहुद्दीन, चाईबासा के इक़बाल अहमद,अख़्तर रूमानी,

खलीलुर्रहमान, अब्दुल हमीद,शहज़ाद हुसैन,वसिउद्दीन, जहाँगीर, चक्रधरपुर से बैरम खान,इम्तियाज़ आलम,इमरान, मोईनुद्दीन, अब्बास अली,रहमत अली,इकरामुल हक़,शहज़ाद मंज़र,ईसा खान,शरीफ़,इस्तियाक़ आलम,मज़हर शम्सी, जगन्नाथपुर से फिरोज़ अहमद,कमाल अहमद,एहतेशामुल हसन, जमशेदपुर से ख़ालिद इक़बाल, खड़पोस से शहबाज़, ज़िया अहमद,मुनव्वर हुसैन,खरसांवा से अकबर ज़ियां, मोहम्मद मुश्ताक़, मझगॉंव से फ़िरोज़,फ़िरदौस,अंज़र हुसैन सहित सैकड़ों लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

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