Tuesday, September 17, 2024
Ranchi News

घुसपैठियों का मुद्दा उठा कर सियासी लाभ लेना चाहती है बीजेपी: गुलाम शाहिद

घुसपैठिया कौन.? झारखंड में गरमाई सियासत


      गुलाम शाहिद

रांची : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव के इस टुईट से हैरानी हुई जिसमें उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियो को हेमंत सरकार में दामाद का दर्जा प्राप्त है और मूलवासी मुसलमान के साथ सौतेले बेटे की तरह बर्ताव हो रहा है।उनका दावा यह भी है कि इन बांग्लादेशी घुसपैठियों के द्वारा यहां की आदिवासी महिलाओं के साथ शादी कर उनका धर्मांतरण करवाया जाता है, और इसके साथ ही उन्हे यहां की नागरिकता मिल जाती है।स्थानीय स्तर पर मौजूद उनके मददगारों के द्वारा उन्हें फर्जी दस्तावेज मुहैया करवाया जाता है।लेकिन शाहदेव के द्वारा इन दावों के समर्थन में कोई वास्तविक और वैज्ञानिक आंकड़ा पेश नहीं किया गया है कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों के द्वारा कितनी संख्या में स्थानीय आदिवासी महिलाओं के साथ विवाह हुआ है इसकी भी कोई वास्तिवक संख्या सामने नहीं रखते हैं।यहां यह याद रहे कि जब भी भाजपा के द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाया जाता है, राज्य सरकार इस मामले में केन्द्र की सराकर को ही कटघरे में खड़ा कर देती है,उसका सवाल है कि यदि अंतरराष्ट्रीय सीमा को धता बता कर बांग्लादेशी घुसपैठियों की प्रवेश हो रहा है, तो इसका जिम्मेवार कौन है, क्या सीमाओं की रक्षा करना भी राज्य
सरकार की जिम्मवारी है। जो सवाल भाजपा हेमंत सरकार से पूछ रही है, वही सवाल वह गृह विभाग से क्यों नहीं करते,जिसके जिम्मे यह पूरा मामला है। लेकिन एक तरफ वह झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठा कर सियासी लाभ लेना चाहते है, दूसरी तरह वह केन्द्र सरकार से उनकी नाकामी पर कोई सवाल नहीं पूछते।झामुमो यह सवाल भी पूछती रही है कि झारखंड गठन के बाद अधिकांश समय तो यहां भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों की ही सरकार रही,अर्जुन मुंडा से लेकर रघुवर दास यहां के मुख्यमंत्री रहे,लेकिन तब इस मामले को क्यों नहीं उठाया गया, इस मुद्दे को लेकर सिर्फ हेमंत सरकार को कटघरे में खड़ा करना तो एक महज सियासी ड्रामा है.प्रतुल शाह देव जी को यह भी बता देना चाहिए कि कथित घुसपैठियों की पहचान के लिए उनके पास क्या प्लानिंग और तंत्र है, वह कौन सा मानक और मापदंड है जिसके आधार पर घुसपैठियों की पहचान की जायेगी।खैर, सियासत में सब चलता है। मगर जनता सब कुछ जानती है।

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