राज्य के माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन
रांची : झारखंड बने आज 24 साल होने जा रहे हैं लेकिन अभी तक राज्य के लगभग माध्यमिक विद्यालय बिना प्रधानाध्यापक के प्रभारी के भरोसे संचालित हो रहे हैं। आज राज्य में 2700 से ज्यादा माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं और उनमें मात्र 20 विद्यालयों में ही प्रधानाध्यापक हैं। और वो भी सेवानिवृति के कगार पर हैं।राज्य के राजधानी रांची में जहां 139 माध्यमिक विद्यालय पर मात्र 4 प्रधानाध्यापक ही कार्यरत हैं।
एक तरफ सरकार विद्यालयों को सीबीएसई के तर्ज पर उत्कृष्ट और आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित करने में लगीं हैं , तो दूसरी तरफ ये विद्यालय स्थाई हेडमास्टर के इंतजार में हैं। विद्यालय के प्रभारी विषय शिक्षक होते हैं, और उन्हें अपने विषयों में शत प्रतिशत रिजल्ट देने की जिम्मेदारी होती हैं। जिससे वे विद्यालय के पूरी व्यवस्था पर उचित ध्यान नहीं देते हैं। बिना प्रधानाध्यापक के गुणवतापूर्ण शिक्षा संभव नहीं हैं।राज्य में दो तरह से प्रधानाध्यापक की भर्ती की जाती हैं रिक्त पदों में से 50 प्रतिशत सीधी भर्ती और 50 प्रतिशत प्रोन्नति से। राज्य गठन के बाद 2009 में सिर्फ एक बार राजकीयकृत विद्यालयों के कुछ सीटों पर सीधी भर्ती से बहाली हुई। और जटिल विभागीय प्रक्रिया के चक्कर में प्रोन्नति के आस में शिक्षक सेवा निवृत हो गए। प्रधानाध्यापक के सीधी भर्ती और प्रोन्नति से भरने के लिए जो नियमावली हैं उसमे विभागीय संकल्प 355 के द्वारा संशोधन करके उसे और जटिल बना दिया गया हैं इस संकल्प के प्रावधान के तहत जिस विषय में शिक्षकों की नियुक्ति स्नातक स्तर के विषय में हुआ हैं, प्रधानाध्यापक के लिए उसी विषय में स्नातकोत्तर होना चाहिए जबकि पूर्व में स्नातकोत्तर में विषय की बाध्यता नहीं थी। सीधी भर्ती के परीक्षा के सिलेबस भी नियुक्ति के विषय में स्नातकोत्तर स्तर का कर दिया गया। प्रधानाध्यापक के लिए नियुक्ति के विषय क्या औचित्य हैं?पूर्व में प्रधानाध्यापक के सीधी भर्ती में एक कॉमन सिलेबस था। अन्य राज्य और सीबीएसई बोर्ड के तहत हेडमास्टर की बहाली कॉमन सिलेबस के तहत किया जाता हैं, जो प्रधानाध्यापक के लिए विद्यालय व्यवस्था से संबंधित होता हैं। वर्तमान संशोधित संकल्प में प्रधानाध्यापक के प्रोन्नति हेतु 18 वर्ष का अनुभव का जिक्र हैं। जबकि वस्तुस्थिति ऐसी हैं की वर्तमान में कार्यरत शिक्षकों इतने वर्ष का अनुभव नहीं रहने के कारण इसके लिए कुछ और साल इंतजार करना होगा। राज्य सरकार द्वारा विद्यालयों के व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए प्रोजेक्ट इंपैक्ट लागू की गई हैं, जो की प्रधानाध्यापक के अभाव में पूर्ण रूप से लागू करना संभव नहीं हैं। प्रधानाध्यापक विहीन विद्यालयों की स्थिति बिना पतवार के नाव की तरह हो गई हैं। हाल ही में झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा प्रधानाध्यापकों की भर्ती के लिए धरना का आयोजन राजभवन के पास किया गया। शिक्षा मंत्री ने इस संबंध में संघ को बातचीत के जरिए आश्वासन भी दिए हैं कि जल्द ही हेडमास्टर की नियुक्ति राज्य के सभी विद्यालयों में की जाएगी। और इसके लिए अविलंब विभाग को निर्देश दिया जाएगा।
शिक्षक प्रतिनिधियों के व्यक्तव्य मुकेश कुमार सिंह ,सचिव JSSTA रांची:–न्यूनतम 8 वर्षों का शिक्षण अनुभव एवं सामान्य सिलेबस के आधार पर सीधी भर्ती से प्रधानाध्यापक के रिक्त पदों को जल्द से जल्द से भरा जाए।ताकि विद्यालय का सुव्यवस्थित तरीके से हो सकें।
कुर्बान अली, प्रमंडलीय सचिव दक्षिणी छोटानागपुर, JSSTA:–गुणवतापूर्ण शिक्षा के लिए अविलंब सरकारी माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों के प्रधानाध्यापक में पद प्रोन्नति के लिए निर्गत सेवा शर्त में संशोधन 355 को निरस्त करते हुए वरीयता सह मेधाक्रम में प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति सुनिश्चित की जाए।