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नन्हे रोजेदार भी अकीदत के साथ रख रहे हैं रोजे

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नन्हे रोजेदार भी अकीदत के साथ रख रहे हैं रोजे

रांची : माह-ए-रमजान के महीने में बड़ों के साथ- साथ छोटे-छोटे मासूम बच्चे भी रोजा रखने में पीछे नहीं हट रहे हैं। नन्हें रोजेदार भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत कर रहे हैं। बड़ों के साथ मासूम बच्चे भी रोजा रखने के साथ पांचो वक्त की नमाज और कुरान-ए- पाक की तिलावत कर रहे हैं। वही इटकी स्टेशन रोड की अकीफा वसीम क्लास एक की बच्ची हैं जो पहली बार रोजा रख नियम का भी पालन कर रही हैं। इनके अभिभावक वसीम अहमद, सबा फिरदौस, नाना इमतियाज अहमद रांची कलाल टोली कहते हैं कि रहमत और बरकत का महीना माह-ए- रमजान घर के लोगों में इबादत के लिए जुनून पैदा करता है। इसलिए छोटे-छोटे मासूम बच्चे भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। शहर क़ाज़ी मुफ्ती क़मर आलम कासमी ने बताया कि 15 साल या उससे ऊपर के बच्चे और बच्चियों पर रोजा फर्ज (जरुरी) है। यदि कम उम्र के बच्चे रोजा रखते हैं, तो उन्हें अल्लाह की नजदीकी जल्द मिलती है। बच्चों के रोजा रखने का सवाब (पुण्य) उनके माता-पिता को मिलता हैं। इस उम्र में ही उनमें अल्लाह के प्रति विश्वास उनके भविष्य के लिए बेहतर है। नन्हें रोजेदारों ने कहा कि रोजेदारों के लिए रमजान का महीना काफी अहम होता है। हम इस महीने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। हमलोग रोजा रख अल्लाह पाक की इबादत कर अपने व अपने परिवार के साथ-साथ मुल्क की तरक्की और मुल्क में अमन की दुआ कर रहे हैं। नन्हें रोजेदार में अकिफा वसीम पिता वसीम अहमद, उजमा परवीन माता फरहत परवीन, अयमन परवीन माता अंजुम परवीन, यह नन्हे रोजेदार एक दो दिन छोड़ कर रोजा रख रही हैं।

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