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हजार महीनों से बढ़कर होता है शबे-ए- कद्र की रात का इबादत : हैदर अंसारी

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कुरआन इंसान की भलाई और हिदायत का रास्ता दिखाने वाली किताब है

ओरमांझी-रेहमतों,बरकतों, नमाजों, तिलावतों और इबादतों से सजा महीना रमजान पाक महीना धीरे धीरे आखरी आयाम की ओर ढलते जा रहा है।रमजान का पाक महीना का 26 रोजा मुकम्मल हो गया।साथ ही रमजान महीने के दो अशरे रहमत और मगफिरत के गुजर चकें है। इस पाक महीने के शबे ए कदर की अहमियत व फजीहत को बताते हुए मायापुर के पूर्व सदर हैदर अंसारी ने बताया कि शबे ए कदर की रात की बड़ी नेकियों वाली रात होती है। इस रात की जिसने कदर कि वह कामयाब हो गया।यह रमजान महीने के आखरी ताक रातों में आती है। कहा जाता है कि रमजान के आखरी ताक रात 21,23,25,27,व 29 को यह रात होती है।जिसका एक रात की इबादत हजार महीनों की इबादत के बराबर होती है।जिसका जिक्र कुरआन पाक व हदीस की किताबों से हमें जानने को मिलती है। इस रात में लोगों को ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत में गुजारनी चाहिए यह रात मगरिब से लेकर सुबह फजर तक रहती है। जिस रात फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन अल्लाह ताला के हुक्म से पूरी दुनिया में फैल जाते है। और इबादत करने वालों के नामे आमाल में लिख देते है।
इस रात में कुरान मुकम्मल तौर पर उतर गई थी। फिर थोड़ा थोड़ा कर मुहम्मद स.पर 23 सालों की मुददत तक उतरती रही।कुरआन का एक एक हर्फ को पढ़ने देखने सुनने का सवाल मिलता है। वही हैदर अंसारी ने हुजूर पाक की बातों को नकल कर बाते है की हुजूर ने फरमाया कि ‘रमजान के महीने में एक ऐसी रात है, जो हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।इस रात से मुराद लैलतुल कद्र है। जैसा कि खुद कुरआन मजीद में है कि ‘हमने इस कुरआन को शब-ए-कद्र में नाजिल किया है और तुम क्या जानो कि शब-ए-कद्र क्या चीज है। शब-ए-कद्र हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।कुरआन इंसान की भलाई और हिदायत का रास्ता दिखाने वाली किताब है।सच्ची बात तो यह है कि इंसान के लिए इससे बढ़कर कोई दूसरी नेमत हो ही नहीं सकती। इसीलिए कहा गया है कि इंसानी तारीख में कभी हजार महीनों में भी इंसानियत की भलाई के लिए वह काम नहीं हुआ, जो इस एक रात में हुआ है। इस रात की अहमियत के अहसास के साथ जो इसमें इबादत करेगा, वह दरअसल यह साबित करता है कि उसके दिल में कुरआन मजीद की सही कदर और कीमत का अहसास मौजूद है।इस महीने की आखरी अशरे में एतकाफ की बड़ी फजीहत है।

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