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निजी अस्पतालों/नर्सिंग होम में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट का अनुपालन सुनिश्चित करने की मांग

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झारखंड बचाओ मोर्चा के संयोजक विजय शंकर नायक ने स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को भेजा ई-मेल संदेश 

विशेष संवाददाता 
रांची। राज्य के प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम संचालक क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट की अनदेखी कर रहे हैं।  इसके तहत अस्पताल में दी जाने वाली सुविधाओं और उसका रेट चार्ट जनता के लिए अभी तक नहीं लगाए गए हैं। वैसे अस्पतालों को चिन्हित कर उन सभी का लाइसेंस रद्द करने की दिशा में राज्य सरकार अविलंब कार्रवाई करे, अन्यथा आंदोलन किया जायेगा।  
उपरोक्त बातें झारखंड बचाओ मोर्चा के केंद्रीय संयोजक विजय शंकर नायक ने कही। श्री नायक ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता एवं प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग को इस संबंध में ईमेल संदेश भेजा है।   उन्होंने कहा कि राज्य में किसी भी प्राइवेट हॉस्पिटल/ नर्सिंग होम के संचालन के लिए  (क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट) के तहत रजिस्ट्रेशन कराने का प्रावधान है। साथ ही साथ हरेक साल लाइसेंस का नवीकरण कराना  अनिवार्य है, लेकिन  राज्य के बहुत सारे प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम( क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट) के तहत बिना रजिस्ट्रेशन के ही चलाए जा रहे हैं और जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने का कार्य कर रहे हैं।  स्वास्थ्य विभाग के मंत्री एवं अधिकारी धृतराष्ट्र की तरह आंख में पट्टी बांधकर कुंभकरण की तरह गहरी निद्रा में सोए हैं। राज्य की गरीब जनता निजी अस्पतालों के शोषण का शिकार हो रही है।
श्री नायक ने कहा कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत यह भी अनिवार्य रूप से प्रावधान है कि सभी  प्राइवेट हॉस्पिटल नर्सिंग होम में दी जाने वाली सुविधाओं और उसका रेट लगाने का निर्देश दिए गए, साथ ही रेट चार्ट ऐसी जगह पर लगाए जाएं, जिससे कि रजिस्ट्रेशन नंबर और रेट की जानकारी स्पष्ट रूप से दिखाई दे। इसके बावजूद ज्यादातर प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम आदेश को मानने को तैयार नहीं हैं और न ही आज तक प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम में कोई रेट चार्ट लगाया गया है। यह कानून का घोर उल्लंघन है।
श्री नायक ने कहा कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट एवं रजिस्ट्रेशन की मॉनिटरिंग का जिम्मा सभी जिलों के सिविल सर्जन को है, लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।
निजी अस्पतालों को मरीजों का आर्थिक शोषण करने की खुली छूट दे दी गई है। 
 उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से इस दिशा में ठोस पहल करने की मांग की है।

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