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एक आदमी हूं जिसे कोई जानता भी नहीं

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मशहूर वा मारूफ शायर अज़फर जमील अब हमारे बीच नहीं रहे इस खबर से उनके चाहने वालों में मायूसी पसर गई,उन्हे याद करते हुए मरहबा ह्यूमन सोसाइटी के सरपरस्त डॉक्टर असलम परवेज ने कहा की ,अदब की दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाले अज़फर जमील दुनिया में छा जाने वाले शायर की हैसियत रखते थे,लेकिन ऐसी क्या बात थी की वो अकेलेपन में रहना पसंद करते थे ये सवाल उन्ही के साथ चला गया,सचिव नेहाल अहमद ने कहा की उनकी शायरी में उनका दर्द नज़र आता था उन्होंने अपनी एक शेर कहते हुए कहा था ” *ना फरिश्ता ना शैतान हूं खुदा वंदा*, *एक आदमी हूं जिसे कोई जानता भी नहीं*, सेंट्रल मुहर्रम कमिटी के महासचिव अकील उर रहमान ने कहा कि ऐसे शायर सदियों में पैदा होते है इनका यूं चले जाना बहुत अफसोस जनक है, विद्यार्थ अकादमी के डायरेक्टर औरंगजेब खान ने कहा की जब कभी भी उन्हें सुनने का मौका मिला लगता था उन्हे सुनता ही रहूं उनकी शायरी में उनका किरदार नजर आता था,मॉर्निंग ग्रुप के हाजी हलीम, एस एम कंप्यूटर के मंजर इमाम,नैय्यर शाहाबी,शमशाद अनवर,अब्दुल मन्नान,अब्दुल खालिक नन्हू,ने भी इनके निधन पर गहरा दुख का इजहार किया,,

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