विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस


भारत समेत पूरे विश्व में जाति अल्पसंख्यक के लिए स्वतंत्र और समानता के अधिकार को बनाए रखने तथा अल्पसंख्यकों के सम्मान के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिवर्ष 18 दिसंबर को विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। उक्त बातें सीनियर कांग्रेसी लीडर अख़्तर अंसारी ने कहीं। उन्होंने कहा कि यह दिवस विभिन्न जातीय मूल के अल्पसंख्यक समुदाय के समक्ष आने वाली चुनौतियां और मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। वर्ष 1992 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 18 दिसंबर को विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के रूप में घोषित किया गया था संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार ऐसा समुदाय जिसका सामाजिक आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से कोई प्रभाव ना हो और जिसकी आबादी कम हो उसे अल्पसंख्यक कहा जाएगा। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जिस देश का अल्पसंख्यक खुशहाल नहीं वह देश कभी विकसित नहीं हो सकता।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 30 350 ए तथा 350बी मैं अल्पसंख्यक शब्द का प्रयोग किया गया है। भारत के राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के निवासी नागरिकों के किसी अनुभाग जिसकी जिसकी अपनी विशेष भाषा लिपि या संस्कृति है को बनाए रखने का अधिकार होगा।
भारत में अल्पसंख्यक मुस्लिम सी ईसाई बौद्ध जैन और पारसी शामिल हैं यह दिन अल्पसंख्यकों के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव को खत्म करने के मकसद से मनाया जाता है।
इन सब बातों को जानने के बाद क्या आपको लगता है भारत में आज अल्पसंख्यक खुशहाल है क्या संविधान के अनुच्छेदों में जो हमें अधिकार मिला है उसका पालन किया जा रहा है अगर नहीं तो हम सब अल्पसंख्यकों को एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़नी होगी।
