विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष:पर्यावरण को जीवन देने का प्रयास करें,तुषार कांति शीट
वर्तमान समय में स्थितियां इतनी गंभीर हो चुकी हैं कि अब पृथ्वी पर पहले जैसे हालात लौट आना मुश्किल है।
पेड़ों की बेतहाशा कटाई, कम गहराई वाले तटीय क्षेत्रों को पाटने और जैव विविधता के कई महत्वपूर्ण तत्वों को नष्ट करने से बारिश का भी पैटर्न बदल गया है। पर्यावरण को बचाने की बजाय पर्यावरण असंतुलित करने में समय नष्ट हो रहा है। इसलिए पर्यावरण की समस्या गहराती जा रही है।
मानव जीवन के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए भी पर्यावरण का संतुलित होना जरूरी है। इसलिए विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण को जीवन देने के लिए सतत प्रयासरत रहने का संकल्प लेने की जरूरत है।
विभिन्न प्रकार के आधुनिकतम तकनीकों के रथ पर सवार मनुष्य पेड़-पौधों और नदियों के महत्व को कम आंकता रहा है। सरकारी प्रयासों से इतर आमजन को पर्यावरण पर गहराते संकट के प्रति जागरूक होने की जरूरत है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास तेज ही नहीं किए जाने चाहिए, बल्कि सरकार से लेकर निजी संस्थाओं और आमजन को भी अपने-अपने स्तर से प्रयास करना चाहिए।
इस बार विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) की वैश्विक थीम है ‘प्लास्टिक के प्रदूषण को पराजित करें’। इस दिशा में हमें जागरुक होने की जरूरत है। तपती धरती, सूखते जल स्रोत, बदलता मौसम मनुष्य के लिए बड़ी चुनौती है। यह मानव समुदाय के लिए खतरे का संकेत भी है। पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं पिछले दो दशकों में लगातार नए-नए स्वरूप बदल कर सामने आ रही हैं। पर्यावरण में मौजूद किसी भी एक चीज के बढ़ने या कम होने से पर्यावरण संतुलन बिगड़ता है और उसका प्रभाव किसी न किसी आपदा के तौर पर देखने को मिलता है।
पानी और ऑक्सीजन दो चीजें हर जीव के लिए सबसे जरूरी है और दोनों ही हमें पर्यावरण से प्राप्त होती है। ऐसे में पर्यावरण के प्रति हम सबकी जिम्मेदारी है।
हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, ताकि पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरुकता बढ़ाई जा सके और लोग उनसे निपटने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित हो सकें। लोगों को पर्यावरण से जुड़े उन मुद्दों के बारे में भी पता होना चाहिए, जो आने वाले समय में एक बड़ा खतरा बनने जा रहे हैं। आने वाली पीढ़ी को बड़ी समस्याओं से बचाने के लिए समय रहते कड़े कदम उठाना जरूरी है। इसके लिए सबसे पहला कदम यही होना चाहिए कि हर व्यक्ति पर्यावरण के देखभाल को अपना फर्ज समझे।
(लेखक श्रीरामकृष्ण सेवा संघ के सहायक सचिव और जाने-माने पर्यावरणविद हैं)
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास क्या है?
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत की थी। यह दिवस मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन की शुरुआत में अस्तित्व में आया। सम्मेलन ने पर्यावरणीय मुद्दों को उजागर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की शुरुआत का संकेत दिया। पहला विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून, 1974 को आयोजित किया गया, जिसके बाद से यह एक प्रमुख वैश्विक कार्यक्रम बन गया है।
क्यों मनाते हैं विश्व पर्यावरण दिवस?
विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है, जो व्यक्तिगत, समुदाय और वैश्विक स्तर पर कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। यह इस बात की भी याद दिलाता है कि वर्तमान पीढ़ी को आने वाली पीढ़ी के लिए पर्यावरण को संरक्षित करना कितना महत्वपूर्ण है। जलवायु परिवर्तन, जंगलों की कटाई, प्रदूषण, बायोडाइवर्सिटी लॉस उन मुद्दों में से हैं, जो इस दिन सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को संबोधित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। प्रकृति के प्रति समर्पण भाव रखने और उसके संरक्षण के लिए हर वर्ष पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। हमारे आसपास के नदी,तालाबों,जंगलों,पहाड़ों,पशु-पक्षियों,मिट्टी इत्यादि का संरक्षण करना,ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन से लोगों को जागरूक करना और प्रदूषण रोकने के लिए कदम उठा कर लोगों को उसमें सम्मिलित करना पर्यावरण संरक्षण के ही कार्य माने जाते हैं।
कैसे हुई शुरुआत?
वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में संयुक्त राष्ट्र ने पहला वैश्विक पर्यावरण सम्मलेन आयोजित किया था। इसमें 119 देशों ने हिस्सा लिया था। इस सम्मलेन का मुख्य विषय बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण था। भारत की ओर से इस सम्मलेन में इंदिरा गांधी ने नेतृत्व किया था। इसी सम्मेलन में यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंटल प्रोग्राम (यूएनईपी) का गठन भी हुआ और प्रतिवर्ष पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। उक्त सम्मेलन में भारत की ओर से नेतृत्व कर रही इंदिरा गांधी ने बिगड़ती पर्यावरण की दशा और भविष्य में होने वाले उसके प्रभाव पर व्याख्यान भी दिया था।

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