कर्बला मुकद्दर बनाने का नाम है: मौलाना तहजीबुल हसन
रांची: मस्जिद जाफरिया में मजलिस जिक्र शोहदाय कर्बला के चौथी मजलिस को ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड झारखंड के अध्यक्ष सह झारखंड राज्य हज समिति के पूर्व सदस्य सह मस्जिद जाफरिया रांची के इमाम व खतीब हजरत मौलाना हाजी सैयद तहजीबुल हसन रिजवी ने कहा कि इमाम हुसैन के मुकाबले यजीद ने 70 हजार की सेना इकट्ठा कर ली थी। और इस यजीदी फ़ौज का कमांडर हुर था। जिसने कर्बला की धरती पर हुसैनी काफिला को रोक रखा था। इमाम हुसैन ने हूर को जवाब दिया, ए हूर जा तेरी मां मातम में बैठे।
इमाम हुसैन की इन बातों का ऐसा असर हुआ कि वह बेचैन हो गया। इमाम हुसैन ने यजीदी सेना का पानी खत्म होने पर उनके सैनिकों को पानी पिलाया और उनके जानवरों को भी पानी पिलाया। सारी परिस्थितियाँ हूर की आँखों के सामने थीं। उसकी अंतरात्मा उसे परेशान करती थी। अपनी गलती कबूल करते हुए उसने अपने दोनों हाथ रूमाल से बांधे और इमाम हुसैन की सेवा में आया और कहा, “मुझे माफ कर दो।” नवासा ए रसूल ने न सिर्फ हूर को माफ कर दिया, बल्कि उसका मुकद्दर बना दिया।
आज अगर हूर ज़मीन कर्बला में हुसैन के साथ न जुडे होते तो उसका नाम भी यज़ीदी सेना में लिया जाता। आलम ए इंसानियत को हूर की इस घटना से सबक लेना चाहिए कि कर्बला मुकद्दर बनाने का नाम है। कर्बला से जुड़ जाओ ताकि तुम्हारा आख़िरत बन जाये। तीसरी मुहर्रम की मजलिस रिम्स के पूर्व निदेशक डॉ. शमीम हैदर ने किया तथा चौथी मुहर्रम की मजलिस सैयद यावर हुसैन, डॉ. मुबारक अब्बास, हसन इमाम ने किया। मजलिस के बाद देर रात तक नाैहा मातम जारी रहा।