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जिस कमिटी या बोर्ड में मैं नहीं वो गलत, आज के कुछ लालची मुसलमान

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रांची: झारखंड अंजुमन के कनवीनर जुनैद अनवर ने कहा की मुसलमानों से संबंधित वाली बोर्ड, अयोग का अक्सर गठन ही नहीं होता है। इसे लटकाए रखा जाता है। और जब तक राजनीतिक मजबूरी नहीं हो इनका गठन तक नहीं किया जाता ।झारखंड में भी ऐसा ही हुआ। सरकार का कार्यकाल जब आखरी पड़ाव पर पहुंचा तो चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय से सामना होने के भय से सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग और वक्फ बोर्ड जैसे कमिटियों का गठन किया। लेकिन अफसोस दर अफसोस की चंद लोग इस पर भी उँगलियाँ उठाने लगे। नियमों का हवाला देने लगे । उन्हे लगता है मैं स्वय कमिटी में रहूँगा तभी कमिटी अच्छी, नहीं तो नियम के खिलाफ । इस से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है की आखिर सरकारें अल्पसंख्यकों से जुड़े आयोग बोर्ड का गठन क्यों नहीं करना चाहती? पिछले दिनों झारखंड में गठन हुए वक्फ बोर्ड में झारखंड के जिन जिन लोगों को मेम्बर बनाया गया है सब काबिले एतमाद हैं, सबका अपने समाज में एक इज्जत और वकार है और ये हमेशा कौम के खिदमत गुजार रहे हैं। इनमें अल्पसंख्यकों के लिए कुछ करने का जज्बा है फिर भी कुछ लोग सिर्फ इसलिए उनकी मुखालफत कर रहे हैं कि उन्हे मेम्बर नहीं बनाया गया जो नेहायत अफसोस नाक और मुफाद परस्ती का बाईस है । आज वक्फ बोर्ड का गठन इसलिए भी जरूरी है की यहाँ वर्षों से वक्फ बोर्ड का गठन नहीं हुआ है। झारखंड में वक्फ के प्रॉपर्टी का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है जिसे कराना जरूरी है। उसके बाद वक्फ की प्रॉपर्टी का डिजिटलीकरण भी किया जाना है ।वक्फ बोर्ड के गठन के बाद ही केन्द्रीय वक्फ परिषद से अनुदान मिलता है। तथा ब्याज रहित लोन भी मिलता है जिस से वक्फ की प्रॉपर्टी को सुरक्षित, संरक्षित और विकसित किया जा सके ।सरकार ने जिन लोगों को इसका मेम्बर बनाया है जांच परख कर और सोच समझ कर बनाया है इन पर उँगलियाँ उठाना किसी भी तरह उचित नहीं है। इस तरह के कदम से कौम और समाज को नुकसान के सिवा कुछ नहीं मिलेगा ।
इसी तरह पिछले कुछ दिनों पहले बनी हज कमिटी का भी यही हाल हुआ। उसमे भी चंद लोगों का विरोध और विवाद के बाद हज कमिटी को भंग कर दिया गया ।आलोचना और विरोध करने वाले लोगों का तो कुछ नहीं गया लेकिन राज्य के आम लोगों को नुकसान हुआ।
इसलिए लोगों को ऐसे किसी भी हरकत से परहेज करना चाहिए जिस से कौम समाज को नुकसान हो।

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