जिक्र कर्बला इंसान को बुजदिल नहीं बहादुर बनाती हैं: मौलाना तहजीब हसन


रांची: कर्बला हमारी पहचान है। जिक्र कर्बला इंसानों को बुजदिल नहीं बहादुर बनाती है। आज के जमाने में जो मुसलमान में तोड़ पैदा कर रहा है उसे मुसलमान ना कहना। वह यहूदियत का एजेंट है, अमेरिका का एजेंट है। कर्बला के मानने वाले कभी भी यजीदियत कि तारीफ नहीं कर सकता। कुरान जिसकी तारीफ कर रहा है हम भी उसकी तारीफ करेंगे। अल्लाह ने कुरान में कहा ईमान वालों को कोई खसरा नहीं। सिर्फ जबान से दवा करना मुसलमान नहीं, बल्कि दिल से होना चाहिए।

अमल से, अपने किरदार से अपने अखलाक से ईमान की झलक दिखनी चाहिए।इमामे हुसैन का जिक्र इसलिए करें कि कम से कम जमाने से यह कह सके कि हम हुसैनी हैं। उक्त बातें झारखंड वक्फ बोर्ड के सदस्य सह ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड झारखंड के चेयरमैन सह मस्जिद जाफरिया रांची के इमाम व खतीब हजरत मौलाना हाजी सैयद तहजीब उल हसन रिजवी ने कही। वह रविवार को तीसरी मोहर्रम के अवसर पर शहर के मकबूल समाजसेवी सैयद शाहरुख सहन रिजवी कांके हुसीर आवास पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

मौलाना तहजीब ने आगे कहा कि पूरी कायनात जिसकी नाज बरदारी करे उसे मोहम्मद कहा जाता है और जिसकी मोहम्मद नाज बरदारी करें उसे इमाम हुसैन कहा जाता है। आज जरूरत है दुनिया को बताने के लिए की मआविया के बेटे का किरदार क्या था और अबू तालिब के पोते का किरदार किया था। हम यह कहते हैं कि कोई भी मुसलमान हजरत इमाम हुसैन की अजमत का इनकार नहीं कर सकता। अगर वह करता है तो मुसलमान नहीं हो सकता।

मौके पर इकबाल फातमी, शाहरुख रिजवी, शजर हसन रिज़वी, जीशान हैदर, पूर्व मुखिया इम्तियाज अंसारी, मौलाना सईद अहसन, अमोद अब्बास, जसीम रिज़वी, नदीम रिज़वी, हाजी हबीब, सोहेल सईद, असगर इमाम, एस एच फातमी, हसनैन, सज्जाद रिज़वी, मौलाना कुर्बान, मुनाजिरुल इस्लाम, शरीफ अंसारी, सैयद जावेद हैदर, सुरूर रज़ा, कासिम अली, अमीर गोपालपुरी, मो अकरम हुसीर, समेत सैंकड़ों लोग

