ई विद्यावाहिनी एप के आधार पर वेतन रोकना अव्यवहारिक : संयुक्त शिक्षक मोर्चा
शिक्षा अधिकारियों के नित्य नये नये फरमान से शिक्षक आहत
ई – विधावहिनी के नये वर्जन में नहीं बन रहा उपस्थिति
शिक्षकों का मानसिक एव्ं आर्थिक शोषण बंद हो
राँची, दिनांक, 16/ 04/ 23,
झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा* के कोर कमिटी के बैठक में शामिल राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ, झारखंड स्टेट प्राईमरी टीचर्स एसोशिएशन, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ प्लस 2 संवर्ग का एक संयुक्त आपात बैठक अरगोडा चौक स्थित शांति कुंज में मोर्चा के संयोजक श्री अमीन अहमद के अध्यक्षता में हुई। बैठक में मुख्य रूप से श्री विजय बहादुर सिंह, अमीन अहमद, आशुतोष कुमार, अरुण कुमार दास, अशोक कुमार मिश्रा, डॉ० सुधांशु कुमार सिंह, मंगलेश्वर् उराँव, मक़सुद् जफर हादी, अंजय अग्रवाल, मो० फखरुद्दीन, गौतम बैरागी के अलावे अन्य शामिल थे।
आज के बैठक में प्रमुख रूप से झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक के द्वारा निर्गत पत्रांक 1305 दिनांक 13 अप्रैल 2023 पर चर्चा हुईl उक्त पत्र में eVV (ई – विद्या वाहिनी एप 2.3.4) पर विद्यालय के सभी प्रकार के रिपोर्टिंग कार्य के साथ शिक्षकों का ऑनलाइन बायोमैट्रिक अटेंडेंस दर्ज करने को आदेशित किया गया है इस नए ऐप में मैनुअली बायोमैट्रिक अटेंडेंस के वैकल्पिक व्यवस्था को पूरी तरह से हटा दिया गया है साथ ही राज्य के शिक्षकों का वेतन अप्रैल महीने से eVV app के नये वर्जन 2.3.4 app में दर्ज बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही भुगतान किया जाएगा, जो बिल्कुल अव्यवहारिक एवं शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करना है क्योंकि बायोमैट्रिक अटेंडेंस बनाने में नेटवर्क समस्या के साथ अनेकों समसामयिक समस्यायें उत्पन्न होने से घंटों समय लग जाता है।
ज्ञातव्य है कि मोर्चा के साथ राज्य के अन्य शिक्षक संगठनों के द्वारा सरकार के समक्ष अनेकों बार ई विद्या वाहिनी ऐप में निहित खामियों से अवगत कराने के साथ-साथ राज्य के प्रत्येक विद्यालयों को गुणवत्ता युक्त टेबलेट एवं बायोमैट्रिक अटेंडेंस का स्कैनर उपलब्ध कराने एव्ं विद्यालयों के गैर शैक्षणिक कार्यों का संधारण के साथ निष्पादन हेतु लिपिक उपलब्ध कराने, छात्र के साथ कक्षा अनुरूप शिक्षक की व्यवस्था, विद्यालयों में आवश्यक भौतिक संसाधनों को उपलब्ध कराने जैसे मूलभूत समस्यायों का निराकरण करने के लिए बार बार आग्रह किया गया है ताकि विभागीय आदेशों के अनुरूप निर्बाध रूप से कार्य संधारण किया जा सके, फिर भी सरकार के तरफ से इस ओर ध्यान दिए बिना सिर्फ नए-नए अव्यवहारिक आदेशों की झड़ी लगाने की मानो एक प्रचलन सी हो गई है।
राज्य के भौगोलिक अनियमितताओं का सहज अंदाज़ा लगाते हुए मात्र ऑनलाइन व्यवस्था पर निर्भर रहना एवं राज्य के शिक्षकों का वेतन भुगतान की व्यवस्था उक्त ऐप के माध्यम से बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर आदेश देना शिक्षकों के मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक रूप से दमन करने का कुत्सित प्रयास से अधिक कुछ भी प्रतीत नहीं होता है। सरकार राज्य के शिक्षकों को उनके नैसर्गिक अधिकारों को दमन करते हुए एक बंधुआ मजदूर के समान समझकर व्यवहार करते हुए राज्य के होनहार एवं गरीब बच्चों के भविष्य का निर्माण करने की जिम्मेदारी देकर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होने का दिखावा राज्य के जनता के समक्ष करना चाहती हैl
ज्ञातव्य है कि राज्य के सरकारी विद्यालयों को उपलब्ध कराए गए टेबलेट और स्कैनर वर्षों पूर्व खराब हो चुके हैं इसके बावजूद भी शिक्षक किसी प्रकार से अपने निजी मोबाइल और मरम्मत कराए गए स्केनर के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में विभाग के द्वारा बिना वैकल्पिक व्यवस्था के ऑनलाइन बायोमेट्रिक अटेंडेंस के आधार पर वेतन भुगतान करने का आदेश शिक्षकों एवं उनके समस्त परिवारों के लिए आत्मघाती सिद्ध होगा। क्या ऐसी परिस्थिति में राज्य के गरीब बच्चों की शिक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित किया जा सकता है? यह एक यक्ष प्रश्न है।
संयुक्त शिक्षक मोर्चा उक्त यक्ष प्रश्न का जवाब विभाग से जानना चाहती है अन्यथा मोर्चा राज्य के शिक्षा हित, छात्र हित एवं शिक्षक हित को अक्षुण्ण रखने के लिए न्यायालय के शरण में जाने को मजबूर हो जाएगी।
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के ज्ञापांक 1305, दिनांक 13/04/23 अवलोकनार्थ संलग्न है।
भवदीय
अरुण कुमार दास
प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी
झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा।