Thursday, October 10, 2024
Ranchi Jharkhand News

न्याय और निष्पक्षता से ही मानवाधिकारों की रक्षा संभव: मुफ्ती अब्दुल्ला अज़हर कासमी

रांची: मुस्लिम मजलिस उलेमा झारखंड के राष्ट्रीय अध्यक्ष हजरत मौलाना मुफ्ती अब्दुल्लाह अज़हर कासमी ने अपने प्रेस बयान में कहा कि न्याय और निष्पक्षता से ही मानवाधिकार की रक्षा संभव है। पवित्र क़ुरआन ने संदेश दिया है कि किसी राष्ट्र की दुश्मनी आपको लोगों के साथ न्याय न करने के लिए प्रेरित नहीं करती। हर परिस्थिति में न्याय करें। भले ही वो फैसला आपके खिलाफ ही क्यू न हो। इस्लाम धर्म में इसका उदाहरण मौजूद है। हजरत अली के खिलाफ क़ाज़ी शरीह की अदालत में मुक़दमा पेश किया गया। मुकदमा एक यहूदी ने किया। क़ाज़ी शरीह के दरबार में हज़रत अली ने अपने बेटे को गवाह के तौर पर पेश किया। न्यायाधीश(क़ाज़ी) ने गवाही को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शरियत में गवाह ऐसे व्यक्ति होने चाहिए जो वादी या प्रतिवादी से खून से संबंधित रिश्ता न हों। जबकि ज़राह( समान) असल में हज़रत अली का था। क़ाज़ी शरीह ने यहूदी के हक़ में फैसला सुनाया। इस्लाम के न्याय और निष्पक्षता के संदेश को देखकर यहूदी ने इस्लाम की प्रामाणिकता पर विश्वास हो गया और इस्लाम कुबूल कर लिया। और हज़रत अली को ज़राह (सामान) भी लौटा दिया। आज विश्व में भ्रष्टाचार, कलह और अराजकता का माहौल है। इसका मुख्य उद्देश्य उत्पीड़ित एवं कमजोर वर्गों के न्याय एवं न्याय को दबाना है। वर्तमान स्थिति की आवश्यकता है कि देश और दुनिया के हर हिस्से में कानून और संविधान की रोशनी में न्याय और निष्पक्षता को बढ़ावा दिया जाए। ताकि मानवाधिकार बहाल हो और समाज के हर वर्ग के लोग खुशहाल जीवन जी सकें और नाम रोशन कर सकें। दुनिया में भारत का नाम रोशन हो।
सबक फिर पढ़ सदाकत का अदालत का शुजाअत का

लिया जाएगा तुझ से काम दुनिया की इमामत का

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