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पसमांदा मुस्लिम युनाइटेड कॉउंसिंल भारत का संवाददाता सम्मेलन

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अनुच्छेद 341 एवं 342 पर लगे संविधान विरोधी धार्मिक प्रतिबंध को समाप्त कर मुस्लिम व इसाई के साथ हो रहे धर्म आधारित पक्षपात को समाप्त किया जाये

जो पसमांदा समाज के हक़ अधिकार की बात करेगा, समाज का पूरा मत उसे मिलेगा

मौबलिंचिन के शिकार शमशाद अंसारी के यहां मुख्यमंत्री नहीं गए, यह भेदभाव खत्म करना होगा

संवाददाता। रांची

पसमांदा मुस्लिम युनाइटेड कॉउंसिंल भारत के सदस्य, अंसारी महापंचायत एवं लोक प्रिय समता पार्टी पटना के राष्ट्रीय अध्यक्ष वसीम नैयर अंसारी ने कहा कि पसमांदा समाज को उचित भागीदारी नहीं मिली है. अनुच्छेद 341 एवं 342 पर लगे संविधान विरोधी धार्मिक प्रतिबंध को समाप्त कर मुस्लिम व इसाई के साथ हो रहे धर्म आधारित पक्षपात समाप्त किया जाये. वह मंगलवार को प्रेस क्लब सभागार में पत्रकारों से रुबरू होते हुए बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव में जो पार्टी पसमांदा समाज के हक हधिकार की बात करेगी, सिर्फ बात ही नहीं उसे कर के दिखाना होगा. समाज का पूरा मत उसे मिलेगा.

संविधान कहता है कि सभी नागरिक समान हैं. इस लिये केंद्र सरकार से मेरी मांग है कि भारत हिंदु, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी का देश है. इस लिये अनुच्छेद 341 एवं 342 पर लगे संविधान विरोधी धार्मिक प्रतिबंध को समाप्त कर मुस्लिम व इसाई के साथ हो रहे धर्म आधारित पक्षपात को समाप्त किया जाये. उन्होंने कहा कि एमआईएम मुस्लमानों की आवाज उठाती है, लेकिन पसमांदा समाज की आवाज नहीं उठाते हैं. यह हम किसी के साथ इलजाम नहीं लगा रहे हैं. यह व्यवस्था की सच्चाई बयान कर रहें हैं. बिहार में हमारी पार्टी बनी है, दिल्ली में 1 अ्टूबर को पार्टी लांच हो रही है, और अब झारखंड में भी पार्टी बनाने की तैयारी है. झारखंड में पार्टी की कमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल्लाह अजहर कासमी के हाथों में हैं. जब हम राजनीति में उतरेंगे तभी पसमांदा को इसका अधिकार मिलेगा.


पसमांदा मुस्लिम युनाइटेड कॉउंसिंल भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल्लाह अजहर कासमी ने कहा कि बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर ने सभी को हमेशा साथ लेकर चला. दबेकुलचे, दिलतों, शोशितों के आवाज बन कर चले. हर एक को उसका अधिकार दिलाया. इस दिनों झारखंड में मुसलमानों के हालात काफी बेगड़े हुए हैं. मॉबलींचिंग के शिकार शमशाद के यहां हमार मुख्य मंत्री नहीं गये, अलीमुद्दीन अंसारी की पत्तनी इंसाफ के लिये परेशान है, ऐसे और भी कई हैं, सभी को हक मिलना चाहिये. इसके लिये सभी मुसलमानों को एक होकर साथ आना होगा. मौके पर मौलाना तौफीक अहमद कादरी, मो जकी इनाम, अनवर खान, मो नसीम, अब्दुल हसीब अध्यक्ष एराकिया पंचायत, शोएब अंसारी, प्रो शकील अंसारी, इम्तियाज अहमद, मो जबिउल्लाह, महमूद आलम, शहाबुद्दीन अंसारी पटना, यासीन अंसारी, चंद्रवंशी गया, युनुस अंसारी गया, मधुमंसूरी, सोहेल अख्तर गब्बर, मो मेराज, एहतेशाम अली, शहनाज खान, नुसरत परवीन, शाहीन मरयम, नसरत परवीन, मो आलम रामगढ़, कारी फैसल जमाली बोकारो, मास्टर मोजम्मिल, शामिल थे.

पसमांदा समाज की मांग


मॉब लींचिंग पर संख्त कानून बने, महिलाओं को कानुनी सुरक्षा एवं सम्मान मिले. दुष्कर्मियों को फांसी मिले.भारत सरकार वक्फ प्रापर्टी पर अविलंब अतिक्रमण हटाये. वक्फ प्रॉपर्टी से हो रहे लाभ से पसमांदा मुसलमानों की शिक्षा, स्वास्थ्य में प्रयोग हो.जातीय जनगणना, जनगणना अधिनियम 1948 के तहत कराया जाये. झारख्ंाड सरकार शिडयूल जिलो के एकल पदों मुखिया प्रमुख जिया पिरषद का संविधान के आधार पर अनारक्षित कर डी नोटिफाईड किया जाये. शिड्यूल जिलों के नियुत्तियों में पसमांदा पिछड़ों का आरक्षण करीब शुन्य कर दिया गया है. उन जिलों में जितनी आबादी पसमांदा पिछड़ों की है उतनी आरक्षण दी जाये. रंगनाथ मिश्र आयोग व सच्चर कमिटी की सिफारिश को लागू करें. मुसलमानों में अंसारी, कलवार, धोबी, हलालखोर, कुरैशी, राईन, इदरीसी आदि कई ऐसी जातियां हैं जिन्हें शिड्यूल कास्ट का दर्जा मिलना चाहिये. राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय सियासी पार्टीयों ने पसमांदा मुसलमानों का शोषण किया है. सच्चर कमिटी की रिपोर्ट ने सियासी पािर्टयों के चेहरे से नकाब उठा दिया है. भारत में रहने वाले पसमांदा मुस्लिम 85 फीसदी किसी राजनीित दल के बहकावे में नहीं आयेंगे.

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