मौलाना आज़ाद कॉलेज में मोटिवेशनल स्पीकर को सुनकर भावुक हुए लोग
हम हारना नहीं चाहते, इसलिए जीतते नहीं: सईद अहमद
रांची: झारखंड की राजधानी रांची के ऐतिहासिक कॉलेज में आज इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर सह राब्ता फाउंडेशन पुणे के अध्यक्ष सईद अहमद मौलाना आजाद कॉलेज अपर बाजार, रांची ने मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। जिसमें उन्होंने कहा कि शिक्षा से ज्यादा प्रशिक्षण(तरबियत) की जरूरत है, अच्छे शब्द जिंदगी बदल देते हैं। विद्यार्थियों में शिक्षा की प्यास होनी चाहिए, शिक्षा की भूख बढ़नी चाहिए। मैं क्या हूं, कैसा हूं, ये भीड़ को बताना होगा। दिमाग उन चीज़ों को कभी नही भूलता जिनको वो समझता है। इसलिए समझकर पढ़ना जरूरी है। यदि आप जीवन में एक अच्छा वक्ता बनना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको एक अच्छा श्रोता बनना होगा। कोई अपनी चीज को नुकसान नहीं पहुंचाता. यह समाज आपका है, यह देश आपका है। आप इस समाज और देश को कितना नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम हारना नहीं चाहते, इसलिए जीतते नहीं। हार आपको मजबूत बनाता है। परीक्षा में असफल होना बुरा नहीं है, निराश होना बुरा है। प्रकाश फैलाने के लिए जलने की आवश्यकता होती है। जो अपने विचारों को ऊंची उड़ान देता है, भगवान उसे नया आसमान देता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अंजुमन इस्लामिया रांची के अध्यक्ष हाजी मुख्तार अहमद ने की और संचालन कॉलेज के प्रोफेसर डॉ इलियास मजीद ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज के उर्दू प्रोफेसर डॉ. मौलाना उबैदुल्लाह कासमी द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। मौलाना डॉ. ओबैदुल्लाह कासमी ने अपने संबोधन में कहा कि इस संस्था का निर्माण मौलाना आजाद के हाथों हुआ था। मौलाना आजाद ने यह इमारत रांची को विरासत में दी है। 31 मार्च 1916 को मौलाना आज़ाद राँची में नजर बंद हुए।रांची के मुसलमानों को दिया ऐतिहासिक तोहफा। आपने सुना होगा कि मदरसे और मस्जिद की आधारशिला किसी बड़े मौलाना के हाथों रखी जाती है। लेकिन मौलाना आज़ाद ने इस मदरसा इस्लामिया की आधारशिला रातु के महाराजा के हाथों रखवाई। इस मौलाना आजाद कॉलेज से हजारों बच्चे पढ़ाई कर निकल रहे हैं। बाना पाढ़ी में मौलाना आजाद कॉलेज की पांच एकड़ जमीन ली गयी है, जल्द ही इस पर काम शुरू होगा। वहीं, झारखंड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष और कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने कहा कि हालात बदलते नहीं, बदलना पड़ता है। जब तक बच्चे किसी मिशन के साथ आगे नहीं बढ़ेंगे तो सफल कैसे होंगे? आज हम यहां खड़े हैं, ये हमारे 35 साल का संघर्ष है, संघर्ष के बिना कुछ भी हासिल नहीं होता। वहीं मौलाना आजाद कॉलेज के अध्यक्ष हाजी मुख्तार अहमद ने भी शिक्षा के महत्व के बारे में बताया। इसके अलावा कॉलेज के बड़ा बाबू परवेज अहमद ने कहा कि शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है। शिक्षा के साथ-साथ प्रशिक्षण भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना भोजन के साथ पानी पीना। वहीं, कॉलेज की ओर से बाहर से आये अतिथियों का स्वागत बुके व शॉल देकर किया गया। धन्यवाद ज्ञापन कॉलेज की प्राचार्या डॉ. अनिता सिन्हा ने की। इस अवसर पर डॉ इलियास मजीद, प्रो महमूद आलम, डॉ अशरफ हुसैन, डॉ मौलाना उबैदुल्लाह कासमी, इजाज अहमद, डॉ फिरदौस ज़बी, बड़ा बाबू परवेज अहमद, हैदर अली, डॉ अनवर अली, परवेज आलम, मालती सिन्हा, लाइब्रेरियन गुल फरहा, आदि महाविद्यालय के समस्त स्टाफ एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।