इकरा पब्लिक स्कूल गलवती के उद्घाटन अवसर पर शैक्षिक जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया गया
गिरिडीह: (संवाददाता) वर्तमान युग में अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए और अपने नस्लों के आधुनिक शिक्षा के लिए आधुनिक शिक्षण संस्थाएं बनाएं।ताकि हमारे देश के बच्चे दुनिया के हर मोर्चे पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ विभिन्न सेवाएं दे सकें, उनका विश्वास स्थिर और मजबूत हो।
उक्त बातें अमीरे शरीयत झारखंड हजरत मौलाना मुफ़्ती नज़र तौहीद अल मजाहिरी शैखुल हदीस जामिया रशीदुल उलूम चतरा ने कहीं। वह इकरा पब्लिक स्कूल गलवती के उद्घाटन के अवसर पर शैक्षिक जागरूकता सम्मेलन में अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि इस सरजमीन रिश्ता मौलाना शर्फुद्दीन से लगभग चालीस से पचास वर्ष पुराना है।
मुझे खुशी है कि उनके प्रतिभाशाली बेटे, मेरे प्रिय मो सरफराज ने एक इस्लामिक स्कूल के बारे में सोचा और इस विचार को लागू किया। मैं पिता और पुत्र दोनों को बधाई देता हूं।सम्मेलन को संबोधित करते हुए रशीदुल उलूम चतरा के मुफ्ती शोएब आलम कासमी ने कहा कि ज्ञान शिक्षा की अहमियत धन से कहीं बेहतर है। शिक्षा ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए यह स्कूल है।
अल-फुरकान एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल मुबीन रिज़वी ने स्कूल की स्थापना को शुभ बताया और विशेष रूप से अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि जब आपने इस क्षेत्र में युवाओ की शिक्षा और प्रशिक्षण का भार उठाया है, तो यह अपरिहार्य है आपको बता दें कि अब आपके रास्ते में तरह-तरह की बाधाएं आएंगी और आपको तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। लेकिन आप कभी भी घबराए नहीं।
ज्ञात हो कि इस मौके पर अमीर शरीयत झारखंड मुफ्ती नजर तौहीद अल मजाहिरी का सैंकड़ों कार और मोटरसाइकिलों पर सवार सैकड़ों लोगों ने नारों की गूंज के बीच जोरदार स्वागत किया। मौलाना नसीम अनवर नदवी (निदेशक फातिमा एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट, इटकी, रांची) ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन में भाग लिया। और इसका नेतृत्व मौलाना मुहम्मद इलियास मजाहिरी (संचालक: जामिया उस्मान बिन अफ्फान सह निदेशक जेयूए पब्लिक स्कूल) ने किया।
सरपरस्ती मौलाना शराफुद्दीन कासमी ने किया। संचालन मौलाना कफ़ीलुर्रहमान ने किया। और हिमायत पूर्व मुखिया मंजूर आलम, वर्तमान मुखिया मुजाहिद हुसैन आदि ने किया।
कारी आफताब रहबर कलकत्वी ने नात पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।मंच पर हाफिज शमशाद आलम फैजी, मौलाना इश्तियाक, मौलाना अफजल, हाफिज शमसुद्दीन, मो अंसार, हाफिज मुमताज, मौलाना शमीम, मौलाना इस्लाम, मौलाना मंजूर आलम, मौलाना नियाज, समीउल्लाह व मौलाना लाल मुहम्मद आदि मौजूद रहे।