मजलिस उलेमा झारखंड के द्वारा इजलास उलेमा व हुफ्फाज संपन्न
सभी उलेमा वक्ता ने शिक्षा और समाज सुधार पर जोर दिया
रांची: मजलिस उलेमा झारखंड की एक दिवसीय इजलास उलेमा व हुफ्फाज सुरसा मुडमा मांडर में हुई। इसकी अध्यक्षता मजलिस उलेमा झारखंड के अध्यक्ष हजरत मौलाना साबिर हुसैन मजाहिरी ने की और संचालन मजलिस उलेमा झारखंड के उपाध्यक्ष हजरत मौलाना शरीफ अहसन मजहरी ने की। बैठक की शुरुआत हजरत कारी सोहेब अहमद द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। नात पाक कारी निसार दानिश ने पढ़ी। इजलास के मुख्य अतिथि हजरत मौलाना फरीदुद्दीन कासमी उपाध्यक्ष(नायब) शैखुल हदीस दारुल उलूम वक्फ देवबंद ने अपने संबोधन में कहा कि मजलिस उलेमा झारखंड उलेमा की एक मजबूत संगठन है। हम सभी को अपने अंदर अल्लाह का डर पैदा करने की जरूरत है।आज हम सभी को यह सोचना होगा कि हमारे संस्कार और हमारा चरित्र किस प्रकार समाज और देश का भला कर सकते हैं।
वहीं हैदराबाद से आए हजरत मौलाना मुफ्ती उमर आबिदीन ने कहा कि ये उलेमा उम्मत के रहनुमा हैं। कुरान की हर आयत एक मार्गदर्शक है। उलेमा का बहुत बड़ा दायित्व है। इस्लाम का परिचय और इस्लामी नैतिकता को घर-घर तक फैलाने की जरूरत है। मुसलमानों में धार्मिक जागरूकता पैदा करना भी उलेमा की जिम्मेदारी है। नफरत की आंधी को मोहब्बत की ताकत से रोका जा सकता है। समाज में फैले भ्रम को दूर करना भी उलेमा का दायित्व है। वहीं सभा को संबोधित करते हुए दारुल उलूम लखनऊ के हजरत मौलाना अलाउद्दीन नदवी ने कहा कि इल्म के बिना कोई भी कौम तरक्की नहीं कर सकती। कुछ भी करने से पहले ज्ञान इल्म प्राप्त करना जरूरी है। यदि हम आने वाली पीढ़ियों को धार्मिक ज्ञान नहीं देंगे तो कोई लाभ नहीं होगा।
वहीं हजरत मौलाना मुफ्ती इम्तियाज ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी का संदेश पढ़कर सुनाया।वहीं इजलास को संबोधित करते हुए जामिया रशीदुल उलूम चतरा के मुफ्ती नजर तौहीद मजाहिरी ने कहा कि मजलिस उलेमा झारखंड का उद्देश्य उलेमा के बीच एकता और आम सहमति बनाना है। यह उलेमा दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। उलेमा का दायित्व भी महान है। समाज में फैली छोटी-बड़ी बुराइयों को कैसे दूर किया जाए यह हम उलेमा का भी दायित्व है। हम सभी को यह सोचने की जरूरत है कि हम आने वाली पीढ़ियों को क्या दे रहे हैं। वहीं हजरत मौलाना आफताब आलम नदवी ने कहा कि इस्लाम के पैगंबर हजरत मुहम्मद (सल्ल.) आखिरी पैगंबर हैं। उनके बाद कोई नबी नहीं आएगा। अल्लाह और उसके रसूल का संदेश पहुंचाने की जिम्मेदारी उलेमा की है। सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए उलेमा को आगे आना होगा। हमें यह याद रखना होगा कि हमारे कार्यों से किसी को ठेस न पहुंचे।
वहीं मौलाना अब्दुल रहमान मजाहिरी ने कहा कि जिसने भी अल्लाह और उसके रसूल के बताए रास्ते पर अमल किया, वह कामयाब हुआ। वहीं, मदरसा इस्लामिया महमूदिया सिरसा मुडमा के संचालक मौलाना डॉ. अब्दुल जलील कासमी नदवी ने मदरसा का परिचय देते हुए कहा कि इस मदरसे की स्थापना 1962 में कारी अलीमुद्दीन ने की थी। जो धार्मिक शिक्षा पर आज भी जारी है। इससे क्षेत्र में धार्मिक वातावरण स्थापित हुआ और अज्ञानता समाप्त हो गयी।
इसके अलावा स्वागत भाषण देते हुए मजलिस उलेमा झारखंड के अध्यक्ष हजरत मौलाना साबिर हुसैन मजाहिरी ने कहा कि मजलिस उलेमा ने इमारत शरिया झारखंड की स्थापना का संकल्प लिया है। हम आये हुए सभी अतिथियों का शुक्रिया व धन्यवाद करते हैं। इसके अलावा मजलिस उलेमा झारखंड के महासचिव हजरत मौलाना मुफ्ती तल्हा नदवी ने मजलिस उलेमा का परिचय और सचिव रिपोर्ट पेश की। उन्होंने मजलिस उलेमा की स्थापना से लेकर अब तक के सफर का वर्णन किया।
इस मौके पर मौलाना डॉ. अब्दुल जलील कासमी नदवी, मौलाना अंसारुल्लाह, मौलाना रफीउद्दीन, मौलाना मसूद, मौलाना अतीकुर रहमान, मौलाना अली हुसैन नदवी, मौलाना गुलाम सरवर, मास्टर अमीन, हाफिज असगर, मौलाना शौकत नौमानी, मौलाना अब्दुल माजिद रांची, हाफिज जुबैर, मुफ्ती शोएब आलम कासमी चतरा, शमीम अख्तर आजाद, शाकिर इस्लाही, नूरुल्लाह हबीब नदवी, मौलाना इनामुल्लाह नदवी,
मौलाना रिजवान दानिश चंदवा, मौलाना मंसूर कांके, मौलाना अब्दुल वाजिद बालूमाथ, मौलाना शोएब अख्तर रांची, मौलाना इदरीस मजाहिरी, मौलाना मंजूर इटकी, रांची शहर काजी मुफ्ती कमर आलम कासमी, मौलाना आफताब आलम नदवी, फातिमा गुल्स एकेडमी के निदेशक मौलाना नसीम अनवर नदवी, मौलाना जियाउल होदा इस्लाही, मौलाना अहमद कडरू, कारी असजद, मौलाना अब्दुल हकीम, मौलाना डॉ असगर मिस्बाही , मौलाना शकील कासमी, मौलाना गाजी सलाहुद्दीन, मौलाना जियाउर रहमान, हजरत मुफ्ती सलमान कासमी, मौलाना डॉ. तल्हा नदवी,
मुफ्ती मुहम्मद अल्लाह कासमी, मुफ्ती दाउद कासमी, मौलाना रिजवान कासमी, मुफ्ती इमरान नदवी, मुफ्ती वसीउर रहमान, मुफ्ती फुरकान, मौलाना अशरफ, कारी अब्दुल रऊफ, मौलाना तनवीर, मौलाना मजहर, मुफ्ती गुलजार, मौलाना अब्दुल्लाह मजाहिरी, मौलाना समीउल हक, कारी अशरफ, कारी अब्दुल रऊफ, मजलिस उलेमा की पूरी टीम, विभिन्न जिलों के उलेमा शामिल थे।