जानिये मैं हूँ झारखण्ड किताब की खास बातें जिससे सबसे कम समय में सर्वाधिक पसंद की जाने वाली किताब बन गई
राँची : मैं हूँ झारखण्ड किताब प्रकाशन के तुरंत बाद से ही छात्र-छात्राओं के दिलों में छा गई। इसके प्रमुख कारण किताब के विभिन्न पृष्ठों में आकर्षक चित्र,आरेखीय प्रस्तुति एवं धरातलीय शोध आधारित आंकड़े हैं जो इसे खास बनाती है। अगर कोई लंबे समय से बार-बार गलत आंकड़े पढ़ रहे हों तो लोग इसे ही सही मानने लगते हैं। किसी नये लेखक के लिये आसान नहीं होता है बाजार में अच्छी खासी चल रही किताबों से अलग आंकड़े को लिखना लेकिन लेखक देव कुमार ने चुनौती स्वीकारी एवं धरातलीय शोध एवं अपने कार्य अनुभव की दक्षता दिखाते हुए नये रंग, कलेवर में किताब लिख डाली। शुरू में तो लोगों ने नये आँकड़ों का खूब विरोध किया लेकिन जैसे-जैसे लोगों को पता चला मैं हूँ झारखण्ड किताब के आंकड़े पुख्ता प्रमाण के साथ हैं फिर यह लोगों के दिलों में छा गई।
किताब के अलग आँकड़े जिसने पहले चौंकाया फिर लोगों ने सराहा
मैं हूँ झारखण्ड के लेखक देव कुमार जी ने निरंतर शोध एवं आँकड़े से जो कुछ आंकड़े प्रस्तुत किये उसने लोगों को पहले चौंकाया फिर लोगों ने उसे अपनाया एवं सबके दिलों में छा गया। मैं हूँ झारखण्ड किताब की पहली संस्करण मार्च, 2023 में प्रकाशित हुई थी। वर्ष 2022 तक प्रकाशित जितनी भी झारखंड सामान्य ज्ञान की किताबें प्रकाशित थी उसमें झारखंड का सबसे बड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 33 दर्शाया गया था जबकि वर्ष 2018 से ही NH-20 सबसे बड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग बन गई थी जिसे सबसे पहले मैं हूँ झारखण्ड किताब ने इसे प्रकाशित किया था। अधिकांश पुस्तकों में प्रखंडों की संख्या 263 दर्शायी गई थी जिसे मैं हूँ झारखंड किताब ने लातेहार जिला के सरयू प्रखंड को 264 वाँ बताकर सभी को चौंकाया था। झारखंड की पहाडियों एवं घाटियों का विवरण संकलित करने वाली पहली पुस्तक मैं हूँ झारखंड बनी। तिलैया जल विद्युत केंद्र की उत्पादन क्षमता सभी पुस्तकों में 60,000 KW दर्शायी गई थी लेकिन मैं हूँ झारखंड के लेखक ने इसे सिर्फ 4 MW लिखा यह भी खूब चर्चा का विषय रही। ऐसा नहीं है कि पहले इसकी उत्पादन क्षमता 60,000 किलोवाट थी एवं बाद में घटकर 4 MW हो गई। इसकी उत्पादन क्षमता शुरू से ही 4 MW थी। ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं जो इस किताब को खास बनाती है। मैं हूँ झारखंड किताब प्रकाशित होने के पहले झारखंड की जनजातियों का प्रतिशत जनगणना 2001 के आँकड़े के अनुसार अन्य झारखंड सामान्य ज्ञान की किताबों में लिखी गई थी। उदाहरण के लियॆ, संथाल जनजाति जनगणना 2011 के अनुसार 31.86% है लेकिन अन्य किताबों में 34% दर्शायी गई थी। मैं हूँ झारखंड किताब प्रकाशित होने के बाद अब सभी किताबों के रंग,कलेवर एवं आंकड़े भी मैं हूँ झारखंड जैसे बदलने लगे हैं। मैं हूँ झारखंड किताब ने पहले जो प्रकाशित किया उसे लोगों ने बाद में नकल किया। यह पुस्तक की प्रामाणिकता को दर्शाती है।
JPSC एवं JSSC प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी मैं हूँ झारखंड ने मचाया धूम
मैं हूँ झारखंड किताब को तब और ज्यादा सराहा जाने लगा जब प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पुस्तक से संबंधित तथ्य पूछे जाने लगे। झारखंड राज्य में हुंडरु जलप्रपात का ऊँचाई की दृष्टि से दूसरा स्थान है। भारत में इसका स्थान 34 वाँ है एवं इसकी जानकारी मात्र मैं हूँ झारखंड किताब में है जिसे पी.जी.टी परीक्षा में पूछा गया था। इंडो डेनिश टूल रूम, आधुनिक पावर लिमिटेड, सेंट्रल कोल फील्ड लिमिटेड झारखंड राज्य के लिये कोई नई बात नहीं है लेकिन सबसे पहले मैं हूँ झारखंड किताब ने इसे शामिल किया और इसे हाल के प्रतियोगिता परीक्षा में पूछा भी गया।
कौन बनेगा करोड़पति धारावाहिक के सवाल ने भी मैं हूँ झारखंड किताब को बनाया खास
कला संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 में चंदनक्यारी छऊ केंद्र की स्थापना की गई थी जिसका विवरण मैं हूँ झारखंड किताब में है एवं इससे संबंधित सवाल विश्व प्रसिध्द धारावाहिक कौन बनेगा करोड़पति में पूछे गये थे।