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भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला-2024 :रेसिडेंट कमिश्नर ने मत्स्य विभाग के स्टॉल का किया भ्रमण,

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कहा, केज कल्चर में झारखंड को अव्वल बनाने में मत्स्य निदेशालय का प्रयास सराहनीय


झारखंड के जलाशयों में की जा रही मोती की खेती के तरीकों से अवगत हो रहे हैं दिल्लीवासी

विशेष संवाददाता

रांची/नई दिल्ली। नई दिल्ली में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (आईआईटीएफ-2024) के झारखंड पेवेलियन में मत्स्य विभाग का स्टॉल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। स्टाॅल पर मत्स्य निदेशालय द्वारा केज में मोती पालन की विधि के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है। विभाग द्वारा झारखंड मंडप में आने वाले दर्शकों को मत्स्य पालन के साथ साथ मोती उत्पादन के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। स्टाॅल में आने वाले आगंतुकों को मत्स्य निदेशालय की ओर से मोती पालन की खेती के तौर-तरीकों और इससे अर्जित होने वाली आमदनी के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
इस संबंध में डाॅ.एचएन द्विवेदी (निदेशक,मत्स्य) ने बताया कि मेले में मत्स्य निदेशालय, झारखंड का भी स्टॉल लगाया गया है, जहां पर केज कल्चर, बायोफ्लाॅक, आएएस पद्धति तथा रंगीन मछलीपालन के साथ-साथ मोती पालन को बढ़ावा देने और इससे आय अर्जित करने के बारे में लोगों को अवगत कराया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि झारखंड में विगत दस वर्षों से केज मत्स्य पालन कार्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत पायलट प्रोजेक्ट के तहत मोती के उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में भी विभाग अग्रसर है।


गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत झारखंड में हजारीबाग जिले क्लस्टर में मोती उत्पादन के लिए लीड जिला के रूप में चयनित किया गया है। विभाग में मत्स्य पालन के विविध आयामों पर आवासीय विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि मत्स्य किसानों के लिए पांच दिनों का प्रशिक्षण दिया जाता है।
मत्स्य कृषक अपने तालाबों, जलाशयों आदि में मछली पालन के अलावा मोती की खेती कर आमदनी बढ़ा सकते हैं।


जिस तरह केज कल्चर किसानों के लिए लाभदायक है, उसी प्रकार मोती पालन भी किसानों की आमदनी बढ़ाने में काफी सहायक साबित होगा।
उन्होंने कहा कि झारखंड का मत्स्य निदेशालय मछली उत्पादन के क्षेत्र में नित नए उपलब्धियां हासिल कर रहा है।
राज्य को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभाग द्वारा मत्स्य कृषकों को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है।
विभागीय सचिव अबू बकर सिद्दीख पी. एवं मत्स्य निदेशालय के निदेशक डॉ.एचएन द्विवेदी के नेतृत्व में कुशल अधिकारियों की टीम मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ मोती उत्पादन में भी कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में प्रयासरत है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक आईआईटीएफ के झारखंड मंडप में बने मत्स्य निदेशालय का स्टाॅल आम नागरिकों के अतिरिक्त मीडिया कर्मियों के लिए भी कौतूहल का केंद्र बना है।

*भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के झारखंड मंडप में रेसिडेंट कमिश्नर अरवा राजकमल (भाप्रसे) ने अवलोकन किया। इसके साथ ही गणपति पंडित, आयकर पदाधिकारी, भारत सरकार, सितांशु कुमार, फूड टेक्नोलॉजी मैनेजर के साथ सर्टिफिकेशन, जीएसटी आदि विषयों पर चर्चा की गई।
इस मौके पर मत्स्य निदेशालय के उप निदेशक रविरंजन कुमार, उप मत्स्य निदेशक, संजय गुप्ता, उप मत्स्य निदेशक (योजना) व रेवती हांसदा, रजनी गुप्ता के साथ माति्स्यकी महाविद्यालय गुमला के विधार्थी कई निवेशक/फर्म के प्रतिनिधि शामिल हुए।

*झारखंड में छह हजार केज अधिष्ठापित

झारखंड में विभिन्न जलाशयों में लगभग छह हजार केज स्थापित हैं, जहां से मत्स्य पालक मछली उत्पादन कर रहे हैं।
एक केज से 2-3 टन मछली उत्पादन होता है। खदानों में भी केज स्थापित किये जा रहे हैं, जिससे विस्थापित लोगों को आजिविका का नया साधन मिला है।

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