इक्फ़ाई विश्वविद्यालय झारखंड ने “संविधान दिवस” मनाया
(विश्वविद्यालय में “समान नागरिक संहिता” विधेयक पर पहला अंतर-विश्वविद्यालय युवा संसदीय वाद-विवाद आयोजित)
संविधान दिवस के सम्मान में, इक्फ़ाई विश्वविद्यालय ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विवादास्पद और विचारोत्तेजक विषय पर एक आकर्षक युवा संसदीय वाद-विवाद की मेजबानी की।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि झारखंड उच्च न्यायालय की अधिवक्ता किरण सुषमा खोया, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) रमन कुमार झा और कार्यक्रम निदेशक प्रो. (डॉ.) राकेश कुमार धर दुबे उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि झारखंड उच्च न्यायालय की अधिवक्ता किरण सुषमा खोया ने भारत में समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन से जुड़ी जटिलताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक विचारोत्तेजक भाषण दिया। उन्होंने सभी धर्मों और समुदायों में व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले एक समान कानून के संवैधानिक और कानूनी निहितार्थों पर बात की। उन्होंने छात्रों को न्याय, समानता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल्यों को बनाए रखते हुए देश के बहुलवादी समाज पर यूसीसी के संभावित प्रभाव का आलोचनात्मक विश्लेषण करने के लिए प्रोत्साहित किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) रमन कुमार झा ने संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने में संविधान दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला और छात्रों को याद दिलाया कि देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखने में कानून के छात्र और कानूनी पेशेवर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रो. धर दुबे ने सभा को संबोधित किया और उन्होंने समकालीन कानूनी मुद्दों से जुड़ने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने संविधान दिवस के अवसर पर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विधेयक पर युवा संसदीय बहस पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसमें अंतर-विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में सूचित बहस और प्रवचन शामिल थे। उन्होंने भारत के संविधान की प्रस्तावना की शपथ लेकर संविधान का पालन करने की शपथ दिलाई।
दिन का मुख्य आकर्षण युवा संसदीय बहस थी, जहां कानून के छात्रों ने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के पक्ष और विपक्ष में अपने तर्क प्रस्तुत करने के लिए मंच संभाला। प्रतिभागियों ने इस मुद्दे के संवैधानिक, सामाजिक और नैतिक आयामों पर जोश से बहस की, धार्मिक स्वतंत्रता, लैंगिक समानता और भारत में व्यक्तिगत कानूनों के दायरे जैसे विषयों पर चर्चा की। इस वाद-विवाद ने न केवल प्रतिभागियों की बौद्धिक कुशाग्रता को उजागर किया, बल्कि भारत के भविष्य को आकार देने में संवैधानिक विचार-विमर्श के महत्व को भी रेखांकित किया।
सलोनी शाहदेव को सर्वश्रेष्ठ वक्ता और अनंत कुणाल तथा प्रियल सिंह को उपविजेता घोषित किया गया। सत्र का संचालन मनीष कुमार महतो ने किया।
कार्यक्रम का समापन डॉ. एम.के. पांडे के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। आयोजन सचिव डॉ. आनंद सिंह प्रकाश, उप-आयोजन सचिव सुश्री एलीशा लकड़ा, संयोजक श्री अमित कुमार और सह-संयोजक श्री अविनाश कुमार भारती के योगदान से कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान अन्य संकाय सदस्य श्री दिव्या उत्कर्ष, श्री अजय कुमार मोदक और डॉ. मृदानिश झा, डॉ. रुम्ना भट्टाचार्य और विश्वविद्यालय के छात्र भी मौजूद थे।