सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाई गई ईद-उल-फितर, लोगों ने मांगी अमन-चैन की दुआ


आदिल रशीद संवाददाता
रांची: मुसलमानों का सबसे बड़ा त्यौहार ईद उल फितर सोमवार 31 मार्च 2025 को रांची झारखंड समेत पूरे देश में सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में मनाया गया। हरमू ईदगाह, डोरंडा ईदगाह, कडरू ईदगाह, राईन मस्जिद, हव्वारी मस्जिद समेत शहर और आसपास के सभी मस्जिदों में निर्धारित समय पर ईद की नमाज अदा की गई।
ईद की विशेष नमाज के दौरान नमाजियों ने अल्लाह ताला से रांची सहित राज्य और देश में अमन-चैन और खुशहाली की दुआ ए मांगी। ईद नमाज के बाद लोगों ने एक-दूसरे से गले लगाकर ईद की मुबारकबाद दी। मस्जिदों में नमाज अदा करने के बाद ज्यादातर लोग कब्रिस्तान में जाकर अपने पुरखों की कब्र पर फातिहा पढ़ा।

ईद के अवसर पर शहर के गली कूचा, मुस्लिम बहुल मुहल्लों में रंग बिरंगे फूलझड़ियों के साथ ही सुंदर विद्युत सज्जा की गई थी। कई जगहों पर स्टॉल लगाकर लोगों को ईद की सेवाइयां खिलाई गई। त्योहार को लेकर मुस्लिम धर्मावलंबियों में काफी उत्साह का माहौल रहा।

ईद संबोधन
देश में नफरत को खत्म कर मोहब्बत आम किया जाए: मौलाना मिस्बाही
केंद्र सरकार वक्फ की जायदाद को हड़प करना चाहती है
रांची: रांची ईदगाह में ईद नमाज से पूर्व हजरत मौलाना डॉक्टर असगर मिस्बाही ने अपने संबोधन में कहा के ईद मुसलमान का सबसे बड़ा त्यौहार है। जो रमजान के खत्म होने पर शुक्राने के तौर पर मनाया जाता है। ईद खुशी का दिन है, खाने खिलाने का दिन है, मिलने मिलाने का दिन है। आपस के गिले शिकवे को खत्म करने का दिन है। ईद का दिन अल्लाह से इनाम लेने का दिन है। इस देश की खूबसूरती यही है कि तमाम लोग अपनी-अपनी तहजीब और रिवायत को बाकी रखते हुए दोस्ताना माहौल में जिंदगी गुजारे। जो लोग इस देश में नफरत का माहौल पैदा कर रहे हैं वह इस देश के दुश्मन है, और देश को तोड़ना चाहते हैं। अभी जो देश के हालात है, इस नफरत को ख़त्म कर मोहब्बत को आम करने की जरूरत है। मौलाना ने वक्फ संशोधन बिल का पुरजोर विरोध करते हुए कहा के केंद्र सरकार वक्फ बिल को पार्लियामेंट में लाने जा रही है। यह एक खतरनाक बिल है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा हिंद और कई संस्थाएं इसके विरोध में तहरीक चला रहे हैं। सारे मुसलमान इस बिल के खिलाफ तहरीक में शामिल है। अंदेशा है के इस बिल के द्वारा केंद्र सरकार वक्फ की जायदाद को हड़प करना चाहती है। जिसे मुसलमान कुबूल नहीं करेगा। मौलाना ने तिलक, दहेज, सुध और फिजूल खर्ची पर भी बात की।
केंद्र सरकार हिन्दू मुस्लिम कर तोड़ पैदा न करें: अलकमा शिबली

रांची: डोरंडा ईदगाह में हजरत मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली कादरी ने नमाज ईद से पहले अपने संबोधन में कहा के ईद का मुकद्दस त्योहार अमन शांति और भाईचारे का पैगाम देता है। ईद का मतलब ही होता है खुशी के। वह खुशी जो जिंदगी में बार-बार आए। हर व्यक्ति की अपनी ईद होती है। जैसे बीमार व्यक्ति जब ठीक हो जाता है तो उसकी ईद है। जेल में बंद व्यक्ति जब जेल से छूट जाता है तो उसकी ईद है। मौलाना ने कहा के वक्फ संशोधन बिल हम मुसलमान को किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं। हम कानून का सहारा लेंगे। संविधान हमें जो आजादी दी है हम संविधान को मानते हैं और संविधान के दायरे में रहकर हम इस काला कानून का विरोध करेंगे। हम अमन शांति तरीके से केंद्र सरकार से अपील करते हैं के वह लोगों को आपस में लड़ाने का काम ना करें। हिंदुस्तान में रहने वाले लोगों को यह बिल और वह बिल लाकर परेशान ना करें। झारखंड अलग राज हुए 25 वर्ष हो गए। लेकिन अब तक उर्दू को वो हक़ ना मिल सका जो उसे मिलना चाहिए था।

ईद इनाम परवरदिगार का नाम है: मौलाना तहज़ीब
रांची: मस्जिद जाफरिया में हज़रत मौलाना हाजी सैयद तहजीबुल हसन रिज़वी ने अपने संबोधन में कहा कि ईद भाईचारगी और खुशी का दिन है। रमजान गुजर गया ईद का इंतजार था, रोजेदारों के चेहरे पर नई मुस्कान देखने को मिली। हर गली कूचा खुशियों से मालामाल होता नजर आया। मगर यह खुशी को बाकी रखना है तो गुजरे हुए रमजान से हम सबको सबक लेने की जरूरत है। ईद ईनाम परवरदिगार का नाम है। जब इनाम अल्लाह की तरफ से मिलता है तो बांदा खुशी से झूम उठता है। यही कारण है कि साल के किसी भी महीने में कोई अपने बाल बच्चे के कपड़े की फिक्र नहीं करता, मगर ईद और रमजान आते ही उसको नए कपड़े की फिक्र होती है। ईद एक ऐसी खुशी का मौका है जिसमें हर मुसलमान नए कपड़े पहनना चाहता है। नए कपड़े इंसान की जीनत का सबब बनते हैं। ईद बराबरी के साथ यह पैगाम देता है कि भारत की गंगा जमुना तहजीब को बाकी रखना हम सब के लिए जरूरी हैं।

ईद का मकसद गुनाहों से सच्ची तौबा करना है: मुफ्ती क़मर आलम
रांची: कर्बला चौक हव्वारी मस्जिद के खतीब हजरत मौलाना मुफ्ती क़मर आलम कासमी ने अपने संबोधन में कहा के ईद का मकसद सिर्फ अच्छा कपड़ा पहन लेना और अच्छा खाना खा लेना नहीं है। बल्कि ईद का सही मकसद गुनाहों से सच्ची तौबा करना, गुनाहों से बचना, ईद का मकसद बुरे काम करने से बचना, ईद का मकसद दूसरों को तकलीफ पहुंचाने से बचना, ईद का मकसद जिसका जो हक है उसे देना है। हमारा यह ईद का त्यौहार इंसाफ पसंद अमन पसंद और शांति का पैगाम देता है। हम आज अपनी खुशियों में दूसरों को शामिल करें, जरूरतमंदों का बेसहारों का सहारा बने, उन्हें गले लगाए। यही ईद का पैगाम है। ईद का पैगाम जिस तरह पूरे रमजान हम गुनाहों से बचते रहे ईद के बाद भी हम उसी तरह गुनाहों से बचते रहे, यही ईद का पैगाम है।
