रांची विश्वविद्यालय, रांची के उर्दू विभाग में एक शोक सभा आयोजित की गई और प्रो. अबुजर उस्मानी और डॉ. रफत आरा के लिए सामूहिक प्रार्थना की गई
रांची, 9 दिसंबर (प्रतिनिधि) आज रांची विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में अंजुमन तरक्की उर्दू के पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष,और रांची विश्वविद्यालय, उर्दू विभाग के पूर्व शिक्षक प्रोफेसर अबुजर उस्मानी एवं डॉक्टर रफत आरा के निधन पर संयुक्त रूप से एक शोक सभा आयोजित की गयी. बैठक की शुरुआत पवित्र कुरान की तिलावत से की गई, जिसमें रांची के प्रतिष्ठित लेखकों, कवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. आफताब अहमद अफाकी ने सम्मान और प्रशंसा के लिए शोक संदेश प्रस्तुत किए। इस मौके पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के अध्यक्ष ने कहा कि प्रो. अबुजर उस्मानी और डॉ. रिफत आरा का एक साथ स्वर्गवासी होना उर्दू जगत के लिए बहुत बड़ा सदमा है और इससे दोनों साहित्यिक परिवारों में एक ही समय में दुख का पहाड़ टूट पड़ा । उन्होंने कहा कि प्रोफेसर उस्मानी एक भाषाविद्, आलोचक, अंग्रेजी एवं उर्दू के उत्कृष्ट अनुवादक और उर्दू भाषा के महत्वपूर्ण स्वयंसेवक थे।
उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जमशेद क़मर ने कहा कि अबू ज़ार उस्मानी एक सक्रिय व्यक्तित्व और सर्वश्रेष्ठ शिक्षक थे जिनसे मुझे साहित्य का अध्ययन करने का अवसर मिला। इस मौके पर प्रोफेसर अहमद सज्जाद और रिफत आरा के बच्चों ने भी अपनी मां की साहित्यिक सेवाओं का जिक्र किया और मगफिरत के लिए दुआ की। श्रद्धांजलि सह शोक सभा में उद्गार व्यक्त करने वाले जो प्रमुख नाम थे उनमे हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. चंद्रिका ठाकुर, बांग्ला विभाग की अध्यक्षा डॉ. बनिता सेन, डॉ. अरशद उस्मानी, डॉ. कहकशां परवीन,
डॉ. असलम अरशद, डॉ.एजाज अहमद,डॉक्टर जेबा, गजाला परवीन , शाहनवाज अहमद, अब्दुल मुग़नी, डॉ. डॉ. अग़ा ज़फ़र हसनैन, इंजीनियर शाहनवाज अहमद, डॉ. तल्हा नदवी, डॉ. औरंगजेब खान, डॉ. हैदर अली , रूबीना नसरीन, इंतखाब आलम, नूरी फिरदौस, इकबाल अहमद आदि ने बेहतरीन तरीके से शोक संदेश प्रस्तुत किये।
उर्दू विभाग के अध्यक्ष डॉ. शकील अहमद ने अध्यक्षीय भाषण शोकसंतप्त होकर व्यक्त किस। इस अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के डॉ मोहम्मद रिजवान अली ने निज़ामत के कर्तव्यों को बखूबी निभाया और प्रोफेसर।
अहमद सज्जाद के द्वारा लिखा खया शोक संदेश का पाठ किया जिसमें अहमद सज्जाद ने लिखा कि “हमारे समय में चार शिक्षक विचार के चार विद्यालयों के अग्रदूत थे, प्रोफेसर वहाब अशरफी प्रगतिवाद से आधुनिकता की ओर चले गए, प्रोफेसर शीन अख्तर प्रगतिवाद के उतार-चढ़ाव के साथ चलते रहे, प्रोफेसर अबू ज़र उस्मानी एक विद्वान, साहित्यिक और आलोचनात्मक दूरदर्शी और नैतिक मूल्यों के समर्थक थे, और रकीम अल-हरूफ (प्रोफेसर अहमद सज्जाद)
इस्लामी साहित्य से प्रतिबद्धरहे।
शोक सभा के अंत में सामुहिक प्राथना की गई।ज्ञात हो कि 16 नवम्बर को डॉक्टर रफत आरा एवं 18 नवम्बर को प्रोफेसर अबुजर उस्मानी स्वर्गवासी हो गए।