दारूल उलूम रहमानिया जरीयो में अजीमुशशान जलसा दस्तारबंदी व तालिमी बेदारी कांफ्रेंस आयोजित
दस्तारबंदी में 32 हुफ्फाज ए कराम के सरो पर दस्तार ए हिफ्ज सजाया गया
मुजफ्फर हुसैन संवाददाता,
राँची:- दारूल उलूम रहमानिया जरीयो रामगढ़ में सोमवार को बाद नमाज मगरिब अजीमुशशान जलसा दस्तारबंदी व तालिमी बेदारी कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। जलसे में मुल्क हिंदुस्तान व रियासत झारखंड के दर्जनों माया नाज उलमा-ए-कराम तसरीफ फरमा थे। जिनके मुकद्दस हाथों से दारूल उलूम रहमानिया जरीयो से कुरआन पाक मुकम्मल हिफ्ज करने वाले 32 हुफ्फाज ए कराम के सरो पर दस्तार ए हिफ्ज सजाया गया। जलसा की सदारत चितरपुर जामा मस्जिद के इमाम व खतीब हजरत मौलाना व मुफ्ती मोहम्मद सलाउद्दीन मजाहिरी ने किया। जलसे की शुरुआत कारी शोयब साहब के द्वारा प्रस्तुत तिलावते कुरआन पाक से हुआ।
वही मदरसा के तालिब ए इल्मों ने तालिमी मोजाहिरा में शानदार प्रदर्शन किया। इस मौके पर जलसे में मेहमाने खूसूसी के तौर पर तसरीफ फरमा हजरत मौलाना मुहम्मद शिबली साहब कासमी (लखनऊ) ने कहा कि जो लोग अल्लाह से लव लगाते है कामयाबी उनकी कदम चूमती है। लोगों को सिर्फ अल्लाह पर भरोसा रखना और मुरादे मांगना चाहिए। उन्होंने बताया कि अल्लाह और उनके रसूल के बताएं तरीके पर चल कर ही इंसान कामयाबी पा सकता है।इस्लाम दुनिया वालों को अमन चैन व भाईचारगी का सन्देश देता है। लोगों को सच्ची पक्की मुसलमान होने की जरूरत है।
वहीं मुहम्मद अकरम कासमी (कोडरमा) ने अपने इल्म व कुरआन की अहमियत को बताते हुए अपने खिताब में कहा कि कुरान इन्कलाबी किताब है। वही लोगों से कहा कि समाज मे फैली बुराईयों को दूर करने के लिए आगे आए और दहेज, बेपर्दगी, नशापान, जूआ, सुधीनेजाम, जैसे बुराइओं को जड़ से मिटाये और इस्लामी निजाम कायम करें। उन्होंने कहा कि आखिरत में कुरान के हाफिजों का मरतबा बुलंद होने और जन्नत की बसारत बतायी। मौलाना व मुफ्ती मोहम्मद सनाउल्लाह ने अपने किताब में कहा कि इल्म के बगैर कोई काम तरक्की नहीं करती। मख्तब व मदरसों की हिफाजत की जिम्मेदारी हम सभी की है।
कुरान को अपने जीवन मे उतारने की जरूरत है। वही शायर ए इस्लाम दिल खैराबादी व जाहिद आजमी ने अपने सुरेली आवाज से लोगों का मन मोह लिया। जलसे की नकाबत मौलाना मुफ्ती मोहम्मद मनीरूद्दीन कासमी ने किया। जलसा को कामयाब बनाने में दारूल उलूम रहमानिया जरीयो के नाजिम मौलाना जमीरउद्दीन कासमी,सदरे मोदरिस हाफिज अबुल कलाम साहब,मोदरिस कारी अब्दुल वाहिद,कारी सलमान अहमद,मास्टर इम्दादुल्लाह व दिगर कमिटि के लोगों का सराहनीय योगदान रहा,इस मुबारक मौके पर काफी संख्या में मर्द औरत व बच्चे मौजूद थे।